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मंदी दूर करने तथा पूर्ण रोजगार लाने के लिए उपयुक्त राजकोषीय नीति

 रोजगार अधिकतर आर्थिक कारोबार की अवस्था पर निर्भर करता है यदि मार्केट में तेजी हो तो रोजगार बाढ़ जाता है और लोगों को काम आसानी से मिल जाता है यदि मंदी हो जाए तो काम धंधे ठप हो जाते हैं और बेरोजगारी बढ़ जाती है मंदी को दूर करने के लिए रोजगार बढ़ाने के लिए सरकार की राजकोषीय नीति एक बड़ा प्रभाव पूर्ण साधन है राजकोषीय नीति के अंतर्गत सरकार का व्यय करना कर लगाना तथा लोगों या बैंकों से धन उधार लेना शामिल है मंदी की अवस्था में अच्छी राजकोषीय नीति की आवश्यकता इसलिए है विकसित औद्योगिक देशों में पूर्ण रोजगार के स्तर पर समस्त आय और समस्त उपभोग में अंतर इतना अधिक होता है कि इसे निजी निवेश भर नहीं सकता या दूर नहीं कर सकता यदि वस्तुओं की मांग काम हो तो वस्तुओं की। बिक्री कम होगी इससे उत्पादन कम होगा परिणाम स्वरुप रोजगार भी कम होगा वस्तुओं की समस्त मांग को निवेश द्वारा बढ़ाया जा सकता है किंतु मंदिर मंदी के समय निजी निवेश पर्याप्त नहीं होता इसकी कमी सरकार को पूरी करनी होती है वह इसे अपनी राजकोषीय नीति द्वारा ही पूरा कर सकती हैं इसके दो ढंग हैं या तो सरकार को अपना निवेश अथवा उपभोग व्यय बढ़ाएं और या...

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