मूल्य विभेद अथवा विभेदात्मक एकाधिकार
वस्तुओं की समान इकाई के लिए भिन्न-भिन्न क्रेताओं से अलग-अलग मूल्य प्राप्त करने की क्रिया को मूल्य विभेद कहते हैं एक ही वस्तु को जिसका उत्पादन एक ही उत्पादन द्वारा किया जाता है भिन्न-भिन्न क्रेताओं को भिन्न-भिन्न मूल्य पर बेचेने की क्रिया को मूल्य विभेद कहते हैं स्ट्रिगलर के अनुसार समान वस्तु के लिए दो या दो से अधिक मूल्य प्राप्त करने को मूल्य विभेद कहते हैं कभी-कभी विक्रेता मुल्यतः एक ही वस्तु की इकाई को थोड़ा सा अंतर लाकर अलग-अलग मूल्य पर बेचता है जैसे सिनेमा बस या ट्रेन में अलग-अलग दर्जे के लिए अलग-अलग मूल्य प्राप्त करना या एक ही पुस्तक को बाइंन्डिग में परिवर्तित करके अलग-अलग मूल्य पर बेचना मूल्य विवेक की ऐसी एक स्थिति में वस्तु की इकाइयों की लागत थोड़ी अलग-अलग होगी पर मूल्य विभेद उस स्थिति में भी हो सकता है जबकि वस्तु की सभी इकाइयां सामान लागत की हो उदाहरण के लिए किसी नई वस्तु को बाजार में ऊंचे मूल्य पर बेचना जिसे धनी वर्ग की खरीद सके बाद में उसी वस्तु को कम मूल्य पर बेचना हम मूल्य विभेद की क्रिया का विश्लेषण सामान लागत वाले वस्तुओं के संदर्भ में करते हैं मूल्य विवेक के संबंध में एक बात स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि पूर्ण प्रतियोगिता में मूल्य विवेक संभव नहीं है क्योंकि इसमें वस्तु की सहजातीय इकाइयां होती है तथा बाजार का पूर्ण ज्ञान क्रेता को रहता है यदि कोई विक्रेता किसी वस्तु के लिए अधिक मूल्य ले तो परिणाम यह होगा कि ग्राहक उस विक्रेता को दूसरे विक्रेता के पास चले जाएंगे इस प्रकार मूल्य विभेद केवल एकाधिकार में ही संभव है मूल्य विभेद करने वाले एकाधिकार को हम विवेचनात्मक या विभेदात्मक एकाधिकार कहते हैं यहां एक बात यह उल्लेखनीय है कि एकाधिकारी मूल्य विभेद की क्रिया अपने निवल एकाधिकारी लाभ को अधिक करने के लिए ही करता है
मूल्य विभेद की अनिवार्य दशाएं ----मूल्य विभेद के लिए सबसे पहले मूल्य विभेद करने वाली फर्म एकाधिकारी हो बाजार अनेक भागों में विभाजित होना चाहिए जिससे एकाधिकारी को यह सुविधा मिल सके कि वह विभिन्न बाजारों में क्रेताओं से अलग-अलग मूल्य प्राप्त कर सके विभिन्न बाजारों में वस्तु की मांग की लोच अलग-अलग हो यदि दो बाजारों में मांग की लोच समान हो तो सीमांत आय एवं मूल्य समान होगा यदि लोच में भिन्नता हो तो कम लोचदार मांग वाले बाजार में एकाधिकार ऊंचा मूल्य तथा अधिक लोचदार मांग वाले बाजार में कम मूल्य ले सकने में समर्थ होगा यदि मूल्य लोच दोनों में समान हो तो एक बाजार में मूल्य में कमी से वस्तु की बिक्री में जो वृद्धि होगी वह दूसरे बाजार के मूल्य वृद्धि के करण विकी की में कमी के बराबर होगी और मूल्य विभेद लाभप्रद नहीं होगा मूल्य विभेद के लिए यह अनिवार्य है कि जो वस्तु एक बाजार में क्रय की जाए वह पुनः दूसरे बाजार में बेची न जाए क्योंकि यदि यह संभव होगा तब सस्ते बाजार से वस्तु महंगे बाजार में जाएंगे और मूल्य विभेद नहीं हो पाएगा मूल्य विभेद के लिए यह भी अनिवार्य है की विभिन्न क्रेताओं में संदेश वाहन का भाव हो एक ग्राहक को दूसरे ग्राहक से यह पता नहीं लगे की दूसरे ग्राहक से कितना मूल्य लिया गया है जब वस्तु अथवा सेवा को पुनः हस्तांतरित नहीं किया जा सके जैसे डॉक्टर एवं वकील की सेवाओं में मूल्य विभेद अधिक संभव होता है डॉक्टर धनी व्यक्ति से अधिक तथा गरीब व्यक्ति से कम मूल्य अपनी सेवा के लिए लेता है वस्तु ऐसी हो जिसकी पूर्ति आर्डर प्राप्त होने पर ही हो ऐसी दशा में सरलता पूर्वक मूल्य विभेद किया जा सकता है यदि दो बाजार एक दूसरे से इतनी दूर हो कि एक बाजार से दूसरे बाजार तक पहुंचने में यातायात व्यय दोनों बाजारों में वस्तुओं के मूल्य के अंतर से अधिक हो तो कोई भी ग्राहक मूल्य के अंतर को जानने के बाद भी एक बाजार से दूसरे बाजार तक जाना उचित नहीं समझेगा सीमावर्ती प्रदेशों में जहां दो देश की सीमाएं मिलती हैं जहां वस्तुओं के आयात निर्यात पर प्रतिबंध हो वहां समीप होने के बावजूद भी दो बाजारों में मूल्य विभेद हो सकता है
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