साधनों के मूल्य निर्धारण का सिद्धांत

 उत्पादन के साधनों को दिया गया मूल्य उत्पादन लागत का एक  महत्वपूर्ण भाग होता है इसीलिए लाभ को अधिकतम करने की प्रक्रिया के लिए यह आवश्यक है कि उत्पादन के साधनों का मूल्य किस प्रकार निर्धारित होता है तथा किस प्रकार इनके मूल्य फर्म के अधिकतम लाभ की क्रिया को प्रभावित करते हैं यहां हम वितरण के सिद्धांत पर सूक्ष्म व्याख्या करेंगे वितरण के दो रूप होते हैं व्यक्तिगत तथा कार्यात्मक यहां हम जिस वितरण के सिद्धांत की चर्चा करेंगे उसका संबंध कार्यात्मक वितरण से है जिसमें हम उत्पादन क्रिया में लगे हुए साधनों के पारिश्रमिक या मूल्य की दर निर्धारित करते हैं इस प्रकार इसके अंतर्गत हम यह अध्ययन करते हैं कि उत्पादन क्रिया में विभिन्न साधनों द्वारा की गई सेवाओं या कार्यों के बदले क्या पारितोषिक दिया जाना चाहिए जहां तक राष्ट्रीय आय के व्यक्तिगत वितरण का प्रश्न है इसके अंतर्गत यह अध्ययन किया जाता है कि विभिन्न व्यक्तियों की व्यक्तिगत आय किस प्रकार निर्धारित होती है तथा किस प्रकार आय के वितरण में असमानता आती है कार्यात्मक वितरण के भी दो रूप हो सकते हैं वितरण का व्यष्टि भावी सिद्धांत तथा वितरण का समष्टि भावी सिद्धांत यहां हम वितरण के व्यष्टि भावी सिद्धांत की व्याख्या करेंगे इसके अंतर्गत विभिन्न साधनों को मिलने वाली पारिश्रमिक की दर का निर्धारण करते हैं जबकि वितरण के समष्टि भावी सिद्धांत समग्र आय के विभिन्न वर्गों को मिलने वाले अंश का निर्धारण करते हैं इस प्रकार जबकि वितरण का व्यष्टि भावी सिद्धांत यह स्पष्ट करता है कि श्रम की इकाई को दी जाने वाली मजदूरी की क्या दर होगी वितरण का समष्टि भावी सिद्धांत यह स्पष्ट करता है कि समग्र राष्ट्रीय आय में से मजदूर वर्ग को कितना भाग मिलेगा वितरण या साधन के मूल्य निर्धारण का सिद्धांत वस्तुओं के मूल्य निर्धारण सिद्धांत का एक रुप या अंश मात्र है इसीलिए जिस प्रकार किसी वस्तु का मूल्य उसकी मांग एवं पूर्ति के द्वारा निर्धारित होता है इस प्रकार किसी उत्पादन के साधनों का मूल्य भी उसकी मांग एवं पूर्ति के द्वारा निर्धारित होता है पर मांग एवं पूर्ति क्या है किस प्रकार यह पारिश्रमिक निर्धारित करते हैं यहां हम सामान्य सिद्धांत के रूप में दो  सिद्धांतों की व्याख्या करेंगे वितरण का सीमांत उत्पादकता सिद्धांत तथा मांग एवं पूर्ति का सिद्धांत पर क्योंकि कोई भी साहसी किसी भी  साधन को उसके सीमांत उत्पादन से अधिक कभी नहीं देगा इसीलिए साधन की सीमांत उत्पादकता दोनों ही सिद्धांतों की आधार होगी और इसीलिए किसी  सिद्धांत की सीमांत उत्पादकता की धारणा है

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