एकाधिकारिक प्रतियोगिता

 व्यवहारिक जीवन में हम लोग देखते हैं कि पूर्ण प्रतियोगिता तथा दूसरी ओर पूर्ण एकाधिकार की काल्पनिक अवस्थाओं की चर्चा की जाती है पर व्यावहारिक जीवन में ना तो पूर्ण प्रतियोगिता और ना एकाधिकार की ही स्थिति मिलती है बल्कि इनके बीच की स्थिति मिलती है जिसे हम अपूर्ण प्रतियोगिता कह सकते हैं और एकाधिकारिक प्रतियोगिता अपूर्ण प्रतियोगिता का एक विशिष्ट रूप है क्लासिकल अर्थशास्त्रियों ने बाजार की समस्याओं पर विचार करते समय यह कल्पना की की बाजार में केवल पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति पाई जाती है ऐसी स्थिति में जो पूर्ण प्रतियोगिता की नहीं हो उसे इन अर्थशास्त्रियों ने एकाधिकार की स्थिति बतलाई पूर्ण प्रतियोगिता की ही स्थिति पाई जाती है एक अधिकार की स्थिति बिरली है मार्शल ने भी मूल्य के सामान्य सिद्धांत में पूर्ण प्रतियोगिता की ही परिकल्पना की 1926 से पहले पूर्ण प्रतियोगिता तथा एकाधिकार के अतिरिक्त बाजार की किसी अन्य अवस्था की ओर किसी का ध्यान नहीं गया क्योंकि पूर्ण प्रतियोगिता तथा एकाधिकार की स्थितियां व्यवहारिक जीवन में नहीं पाई जाती हैं इसीलिए इस बात की आवश्यकता महसूस की गई की मूल्य निर्धारण के संबंध में किसी ऐसे सिद्धांत का प्रतिपादन किया जाए जो उस स्थिति का विश्लेषण करें जो व्यावहारिक संसार में पाई जाती है सर्वप्रथम 1926 में पीयरो स्श्राफा ने प्रकाशित अपने एक लेख में प्रतियोगिता तथा एकाधिकार की आलोचना की तथा इस बात पर बल दिया कि व्यावहारिक जीवन में अपूर्ण प्रतियोगिता की ही स्थिति मिलती है तत्पश्चात पीगू रॉबिंसन आदि अर्थशास्त्रियों ने इसके ऊपर बोल दिया पर अधिक उचित रूप में इस समस्या का समाधान 1933 में हुआ जबकि श्रीमती जॉन रॉबिंसन की इकोनॉमिक्स आफ इमपरफेक्ट कंम्पेटीशन मैं उन्होंने शुद्ध प्रतियोगिता तथा शुद्ध एकाधिकार की स्थिति दोनों ने ही मुल्यतः दो काल्पनिक स्थितियां बताई जो व्यावहारिक जीवन में नहीं पाई जाती है वास्तविक जीवन में जो स्थितियां पाई जाती हैं वे उनके बीच की स्थितियां होती हैं जिन्हें अपूर्ण प्रतियोगिता कहा जाता है यदि बाजार उचित प्रकार से संगठित ना हो यदि  क्रेता तथा विक्रेताओं के पारस्परिक संपर्क में कठिनाइयां उत्पन्न हो तथा वह अन्य व्यक्तियों द्वारा खरीदी गई वस्तुओं और दिए मूल्यों को ज्ञात करने में समर्थ ना हो तो ऐसी स्थिति को हम अपूर्ण प्रतियोगिता कहते हैं इस प्रकार बाजार की वह स्थिति जिसमें पूर्ण प्रतियोगिता की आवश्यक दशाएं मौजूद नहीं हो उसे अपूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति कहा जाता है

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