मुद्रा सिद्धांत तथा मूल्य सिद्धांत का एकीकरण केन्ज तथा पेटिनकिन (Integration of monetary theory and value theory Keynes and Patinkin)
केन्ज ने क्लासिकी मुद्रा सिद्धांत वादियों की इस बात के लिए आलोचना की है उन्होंने मुदा सिद्धांत तथा मूल्य सिद्धांत को अलग अलग रखा इसके बाद उसने मुद्रा का परिणाम सिद्धांत एक नए रूप में प्रस्तुत किया इस नए सिद्धांत के परिणाम स्वरूप कीमतों का मुद्रा सिद्धांत को मूल्य सिद्धांत से एकीकृत करने का प्रयत्न किया और मुदा सिद्धांत में ब्याज का सिद्धांत भी मिला दिया गया है परन्तु उत्पादन के सिद्धांत के माध्यम से ही मूल्य सिद्धांत तथा सिद्धांत परस्पर समुचित रूप से स्थित हुए हैं
केनरा पुराने मुद्रा सिद्धांत वादियों से इस बात पर सहमत नहीं हैं कि मुद्रा के परिणाम तथा कीमतों में प्रत्यक्ष एवं समानुपाती संबंध है उसका कहना है कि कीमतों पर मुद्रा के परिणाम में परिवर्तन का प्रभाव अप्रत्यक्ष एवं आनुपातिक होता है
मूल्य सिद्धांत एवं मुद्रा सिद्धांत तथा कीमतों के बीच कोई दरवाजा या खिड़की नहीं रखी गई वस्तुओं की मांग तथा पूर्ति द्वारा निर्धारित सापेक्ष कीमत स्तर तथा मुद्रा की मांग एवं पूर्ति द्वारा निर्धारित निरपेक्ष कीमत स्तर के बीच इस द्वि विभाजन का कारण यह है कि क्लासिक मौद्रिक अर्थशास्त्री मूल्य सिद्धांत तथा मुद्रा सिद्धांत को एकीकृत करने में असफल रहे हैं परिणाम मुद्रा पूर्ति में होने वाले परिवर्तन केवल निरपेक्ष कीमत स्तर को प्रभावित करते परन्तु सापेक्ष कीमत स्तर पर कोई प्रभाव नहीं डालते हैं
केन्ज ने स्थैतिक संतुलन के उस क्लासिकल सिद्धांत की भी आलोचना की है जिसमें यह माना गया है कि मुद्रा तटस्थ होती हैं और सापेक्ष कीमतों से संबंधित अर्थव्यवस्था के वास्तविक संतुलन को प्रभावित नहीं करती उसका कहना है कि वास्तविक जगत की समस्याएं स्थानान्तरणशील संतुलन के सिद्धांत से संबंध रखती है जबकि मुद्रा वर्तमान तथा भविष्य के बीच एक कड़ी के रूप में प्रवेश करती है।
केनरा पुराने मुद्रा सिद्धांत वादियों से इस बात पर सहमत नहीं हैं कि मुद्रा के परिणाम तथा कीमतों में प्रत्यक्ष एवं समानुपाती संबंध है उसका कहना है कि कीमतों पर मुद्रा के परिणाम में परिवर्तन का प्रभाव अप्रत्यक्ष एवं आनुपातिक होता है
मूल्य सिद्धांत एवं मुद्रा सिद्धांत तथा कीमतों के बीच कोई दरवाजा या खिड़की नहीं रखी गई वस्तुओं की मांग तथा पूर्ति द्वारा निर्धारित सापेक्ष कीमत स्तर तथा मुद्रा की मांग एवं पूर्ति द्वारा निर्धारित निरपेक्ष कीमत स्तर के बीच इस द्वि विभाजन का कारण यह है कि क्लासिक मौद्रिक अर्थशास्त्री मूल्य सिद्धांत तथा मुद्रा सिद्धांत को एकीकृत करने में असफल रहे हैं परिणाम मुद्रा पूर्ति में होने वाले परिवर्तन केवल निरपेक्ष कीमत स्तर को प्रभावित करते परन्तु सापेक्ष कीमत स्तर पर कोई प्रभाव नहीं डालते हैं
केन्ज ने स्थैतिक संतुलन के उस क्लासिकल सिद्धांत की भी आलोचना की है जिसमें यह माना गया है कि मुद्रा तटस्थ होती हैं और सापेक्ष कीमतों से संबंधित अर्थव्यवस्था के वास्तविक संतुलन को प्रभावित नहीं करती उसका कहना है कि वास्तविक जगत की समस्याएं स्थानान्तरणशील संतुलन के सिद्धांत से संबंध रखती है जबकि मुद्रा वर्तमान तथा भविष्य के बीच एक कड़ी के रूप में प्रवेश करती है।

Nice
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