गुणक सिद्धांत की विकासशील देशों पर व्यवहार्यता(Applicability of multiplier theory to developing countries)
गुणक सिद्धांत को भारत जैसे अल्पविकसित देश पर लागू करने की संभावित का विश्लेषण किया है डॉ राव के अनुसार केनज ने अल्पविकसित देशों की समस्याओ को न तो कभी व्यवस्थित रूप में रखा और न ही उस उद्देश्य की इन देशों से सम्बंदता पर विचार किया है जो उसने अधिक विकसित देशों के लिए प्रस्तावित किए अतः यह अल्पविकसित देशों की समस्याओ पर कीनस के अर्थशास्त्र को कुछ कुछ नासमझी से लागू किया गया केंज का गुणांक सिद्धांत चार मान्यताओं पर आधारित है
१----अनैच्छिक बेरोजगारी
२ ----औद्योगिकरण अर्थव्यवस्था जहां उत्पादन का पूर्ति वक्र ऊपर की ओर दाएं को ढालू होता है परंतु तब तक अनु लंब नहीं बंता जब तक की बहुत काफी समय ना बीत चुका हो
३-----उपभोग वस्तु उद्योगों में अतिरिक्त क्षमता
४-----आवश्यक कार्यकारी पूंजी अथवा बड़ी हुए उत्पादन की अपेक्षा लोचदार पूर्ति
इन धारणाओं के
१----अनैच्छिक बेरोजगारी
२ ----औद्योगिकरण अर्थव्यवस्था जहां उत्पादन का पूर्ति वक्र ऊपर की ओर दाएं को ढालू होता है परंतु तब तक अनु लंब नहीं बंता जब तक की बहुत काफी समय ना बीत चुका हो
३-----उपभोग वस्तु उद्योगों में अतिरिक्त क्षमता
४-----आवश्यक कार्यकारी पूंजी अथवा बड़ी हुए उत्पादन की अपेक्षा लोचदार पूर्ति
इन धारणाओं के
Gud
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