हिंदी छायावाद युग

छायावाद युग 1918 से 1936 को हिंदी साहित्य में भक्ति का काव्य के बाद स्थान दिया जाता है छायावादी काव्य में प्रसाद जी ने यदि प्रकृति को मिलाया निराला ने मुक्तक छंद दिया पंत जी ने शब्दों को सरल बनाया तो महादेवी ने उसमें प्राण डाल दिए
छायावाद युग में माखनलाल चतुर्वेदी बालकृष्ण शर्मा नवीन सुभद्रा कुमारी चौहान रामधारी सिंह दिनकर सोहनलाल द्विवेदी सियारामशरण गुप्त श्याम नारायण पांडेय गुरु भक्त सिंह इत्यादि ने काव्य प्रवृतियों में साहित्य सृजन करके हिंदी को समृद्ध किया

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