निवेश के रुप (Types of Investment)
आज हम निवेश के रूप के विषय में विस्तार से व्याख्या करेंगे निवेश निम्न तीन प्रकार के रूप में होता है पहला है व्यावसायिक स्थिर निवेश दूसरा है आवासीय निवेश तीसरा है भंडार निवेश निवेश के इन तीनों रूपों कि हम नीचे व्याख्या करेंगे और यह बताएंगे कि उनके कौन से निर्धारक है।
व्यावसायिक स्थिर निवेश---- व्यावसायिक स्थिर निवेश का अर्थ है मशीनों साज सामान उपकरणों फैक्ट्रियों आदि में निवेश करना है जिनका अन्य वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है मशीनों संयंत्रों उपकरणों आदि के स्टाक को स्थिर पूंजी कहा जाता है स्थिर पूंजी से अभिप्राय यह नहीं है कि वह स्थान पर बंधी हुई होती है बल्कि यह है कि उनको उत्पादक कार्यों के लिए अपेक्षाकृत लंबे समय के लिए प्रयोग किया जाता है इसके विरुद्ध वस्तुओं के भंडारों में किए गए निवेश को कम समय में उत्पादन कार्य में प्रयोग किया जाता है अथवा उन्हें शीघ्र ही बेच दिया जाता है व्यावसायिक स्थिर निवेश बहुत महत्वपूर्ण है व्यावसायिक स्थिर निवेश समस्त मांग का एक घटक है जो राष्ट्रीय आय तथा रोजगार का स्तर निर्धारित करता है इसके अतिरिक्त व्यवसायिक स्थिर निवेश बहुत परिवर्तनशील है जिसके घट बढ़ से एक पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में व्यावसायिक चक्र उत्पन्न होते हैं व्यावसायिक स्थिर निवेश का दूसरा महत्व यह है कि इससे देश की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है और आर्थिक विकास संभव होता है निवेश के लिए मांग एक और लाभ की अप्रत्याशित दर जिसे उसने पूंजी की सीमांत कुशलता की संज्ञा दी और दूसरी ओर ब्याज दर पर निर्भर करती है अल्पकाल में ब्याज दर के अपेक्षाकृत स्थिर रहने के कारण लाभ की प्रतिशत दर मैं परिवर्तन के फल स्वरुप निवेश में बढ़ घट होती है नव प्रतिष्ठित अर्थशास्त्र में व्यावसायिक स्थिर निवेश एक और पूंजी की सीमांत उत्पादकता तथा दूसरी ओर पूंजी की प्रयोग लागत द्वारा निर्धारित होता है पूंजी की प्रयोग लागत पूंजी पदार्थ की कीमतों ब्याज दर तथा पूंजी का मूल्य हास पर निर्भर करती है नव क्लासिकल सिद्धांत में जब पूंजी की उत्पादकता पूंजी की प्रयोग लागत से अधिक होती है तो निवेश किया जाता है निवेश के इस नव प्रतिष्ठित सिद्धांत में ब्याज की दर तथा लाभ पर कर व्यावसायिक स्थिर निवेश के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं आगे जाकर इस सिद्धांत की भी हम विस्तार में विवेचना करेंगे
आवासीय निवेश--- आवासीय निवेश व्यक्तियों द्वारा नए मकान बनाने अथवा उन्हें खरीदने पर व्यय को कहते हैं आवासीय निवेश विभिन्न देशों में सकल राष्ट्रीय उत्पाद के तीन से 5% तक होता है आवासीय निवेश के बारे में दो महत्वपूर्ण बातें उल्लेखनीय है प्रथम चुकी एक आवासीय मकान की आयु 40 से 50 वर्ष तक होती है आवासीय मकान का वर्तमान स्टॉक उसमें वार्षिक निवेश की तुलना में बहुत अधिक होता है आवासीय निवेश के संबंध में दूसरी महत्वपूर्ण बात आवासीय मकान की पुनः बिक्री की मार्केट अधिक विकसित है जिसे जो उनको बनाते अथवा खरीदने हैं उन्हें द्वितीय मार्केट में भेज सकते हैं आवासीय निवेश मुख्यतः वर्तमान आवासीय मकान की कीमतों द्वारा निर्धारित होता है यदि आवासीय इकाइयों की कीमतें जितनी अधिक होगी उनमें निवेश उतना ही अधिक होगा क्योंकि वह अधिक लाभकारी होंगे मकान की कीमतें उनकी मांग तथा पूर्ति द्वारा निर्धारित होती हैं किसी समय विशेष में आवासीय इकाइयों की पूर्ति निश्चित होती है जिससे उनका पूर्ति वक्र उदग्र सीधी रेखा होता है जबकि उनका मांग वक्र नीचे की ओर गिरता हुआ होता है दीर्घकाल में आवासीय इकाइयों की मांग जनसंख्या में वृद्धि की दर तथा नए परिवारों के निर्माण पर सब निर्भर करती है जनसंख्या में अधिक वृद्धि की दर से आवासीय इकाइयों की मांग में वृद्धि बढ़ती है लोगों की आय भी मकान की मांग निर्धारित करती है आय के स्तर में प्राय घटने बढ़ने के कारण आवासीय निवेश में व्यावसायिक वक्रों के अनुरूप परिवर्तन होता रहता है अन्ततः आवासीय इकाइयों की मांग ब्याज की दर पर निर्भर करती है ब्याज दर कम होती है तो लोग बैंक से ऋण लेकर आवासीय इकाइयों में निवेश करने को प्रेरित होते हैं वस्तुत: आधुनिक समय अधिक मकानो वह फ्लैटों आदि में निवेश के लिए बैंकों से दीर्घकालीन ऋण दिया जाता है मकान को बैंक को अथवा वित्तीय संस्थानों के पास गिरवी रखकर ऋण प्राप्त किया जाता है जो व्यक्ति बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं से ऋण लेते हैं उसको ब्याज समेत किस्तों में उसे झुकते हैं इसीलिए मौद्रिक नीति का आवासीय निवेश को प्रभावित करने का अधिक महत्वपूर्ण उपकरण है
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