मांग की लोच का महत्व
अर्थशास्त्र मैं विभिन्न समस्याओं के समाधान के संदर्भ में मांग की लोच का अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थान है इसके महत्व पर अपना मत व्यक्त करते समय लार्ड कीन्स ने कहा मार्शल का सबसे महत्वपूर्ण देन मांग की लोच का सिद्धांत है इसके अध्ययन के अभाव में मूल्य तथा वितरण के सिद्धांत की व्याख्या संभव नहीं है। किसी वस्तु का मूल्य उस वस्तु की मांग एवं पूर्ति द्वारा निर्धारित होता है मूल्य बढ़ने तथा घटने पर पूर्ति में कितना परिवर्तन होगा यह मांग की लोच पर निर्भर करेगा यदि मांग लोच अधिक हो तो मूल्य में परिवर्तन से पूर्ति की मात्रा में अधिक परिवर्तन होगा यह पर यदि मांग बेलोच हुई तो कम परिवर्तन होगा जहां तक एकाधिकार में मूल्य निर्धारण का प्रश्न है एकाधिकार वस्तु की मांग की लोच के अनुसार मूल्य निश्चित करता है जिससे उसका लाभ अधिकतम हो यह बेलोच मांग की वस्तु का मूल्य अधिक तथा अधिक लोचदार वस्तु का मूल्य कम रखता है क्योंकि बेलोच मांग के कारण यदि उसके मूल्य में वृद्धि हो जाए तब भी ग्राहक सामान खरीदेंगे ही पर यदि वह अधिक लोचदार वस्तु की कीमत बढ़ा दे तो ग्राहक उस वस्तु को नहीं खरीदेगा इसका लाभ कम हो जाएगा एकाधिकार की सामान्य अवस्था में मांग की लोच द्वारा किस प्रकार मूल्य प्रभावित होगा यह भी एकाधिकार में स्पष्ट किया जाता है किस प्रकार मूल्य विभेद करते समय एकाधिकारी मांग की लोच की सहायता लेता है एकाधिकारी दो बाजरो मैं अपनी वस्तु का मूल्य इस प्रकार निर्धारित करता है कि बेलोच मांग वाले बाजार में अधिक मूल्य कम वस्तुएं तथा अधिक लोचदार मांग वाले बाजार में कम मूल्य पर अधिक वस्तुएं भेज सकें इसी प्रकार राशिपातन मैं संबंध मांग की लोच सहायक हो सकती है उत्पादन के साधनों के पारिश्रमिक निर्धारण के अंतर्गत देखा जाता है यदि किसी साधन की मांग बेलोच हैं तो अधिक मूल्य देना पड़ेगा यदि श्रमिक की मांग बेलोच है श्रमिक को अधिक मजदूरी देनी पड़ेगी सरकार की नीतियों के निर्धारण में भी मांग की लोच का बहुत अधिक महत्व है यदि सरकार इस संबंध में नीति निर्धारण करना चाहे की किन उद्योगों को सार्वजनिक उद्योगों के रूप में घोषित करें तथा जिंक प्रबंधन अपने हाथ में लें तो उसे मांग की लोक से अधिक सहायता मिलेगी यदि किसी वस्तु की मांग बेलोच है तो यह उचित होगा कि उन्हें वह अपने हाथ में ले ले। कर नीति के संबंध में जिनका समाधान मांग की लोच की सहायता से किया जा सकता है पहली समस्या अधिक से अधिक आय प्राप्त करने की है इस उद्देश्य से सरकार को चाहिए कि बेलोच मांग वाली वस्तुओं पर कर लगाए क्योंकि यदि कर लोचदार वस्तु पर लगाया जाएगा तो उपभोक्ता उन वस्तुओं को प्रयोग में नहीं लायेगा फल स्वरुप सरकार को आय नहीं मिल पाएगी दूसरी समस्या कर के भर के निर्धारण की है प्रकार द्वारा लगाए जाने वाले कर कर भर किसके ऊपर पड़ता है इसका ज्ञान मांग की लोच के द्वारा हो सकता है यदि वस्तु जिस पर कर लगाया जाता है बेलोच मांग वाली है तो कर का भार उपभोक्ता पर पड़ेगा क्योंकि उत्पादक मूल्य बड़ा सकेगा यदि वस्तु की मांग लोचदार हुई तो कर का भार उत्पादक पर ही पद पड़ेगा इस प्रकार वस्तु की मांग की लोच जितनी ही अधिक होगी कर का भार उतना ही अधिक विक्रेता पर पड़ेगा और जितनी ही लोच कम होगी उतना ही कर का अधिक भार क्रेता पर पड़ेगा
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