मौद्रिक लागत तथा आर्थिक लागत
मौद्रिक लागत से अभिप्राय उस सभी व्ययों से है जिसे कोई उत्पादक किसी वस्तु के उत्पादन को प्राप्त करने के लिए मुद्रा के रूप में व्यय करता है वस्तु के उत्पादन की मौद्रिक लागत ही कुल उत्पादन लागत के रूप में जानी जाती है कच्चे माल की कीमत मजदूरी बीमा किराया ब्याज कर मूल्य बिजली पर व्यय आदि मौद्रिक लागत के प्रमुख अंग होते हैं किसी वस्तु की उत्पादन में जो कुछ आगत के रूप में प्रयुक्त होता है जैसे कच्चा माल उत्पादन के साधन आदि उनका मुद्रा के रूप में मूल्य ही वस्तु के उत्पादन के मौद्रिक लागत होती है यदि उत्पादन फलन को आदतों का मौद्रिक मूल्य विभिन्न आगतों में उनके मूल्य से गुणा करके प्राप्त कर सकते हैं उत्पादन की मौद्रिक लागत को ही हम व्यक्त लागत कहते हैं मौद्रिक लागत या व्यक्त लागत को ही हम लेखांकन लागत भी कहते हैं क्योंकि लेखा पुस्तकों में केवल मौद्रिक लागत कि ही प्रविष्टि हो सकती है भौतिक रूप प्रदर्शित करने वाले विभिन्न आगत अलग-अलग इकाइयों में होते हैं वे किसी एक इकाई में ना तो होते हैं और ना ही एक इकाई में परिवर्तित किया जा सकते हैं इसीलिए सबको एक साथ जोड़ा नहीं जा सकता तथा इस प्रकार वास्तविक लागत को मूल्य के रूप में व्यक्त किया जाए इसीलिए इसके संबंध में सामान्य व्यवहार यह है कि इन भौतिक इकाइयों को मूल्य के रूप में व्यक्त किया जाए पर ऐसा स्थिर आगत मूल्य पर किया जाता है ऐसी स्थिति में जबकि आगत के मूल्य स्थिर हो तो मुद्रा इकाई के रूप में व्यक्त कुल लागत में परिवर्तन भौतिक लागत में परिवर्तन प्रदर्शित करेगा कहने का मतलब यह है कि वास्तविक लागत तथा मौद्रिक लागत में स्पष्ट संबंध होता है आर्थिक लागत अवसर लागत की धारणा को दृष्टि में रखते हुए एक उत्पादक की दृष्टि में आर्थिक लागत वह भुगतान है जिसे उत्पादक को संसाधनों के आपूर्तिकर्ता को आवश्यक रूप से देना पड़ता है जिससे उत्पादन क्रिया में प्रयुक्त हो रहे संसाधनों को अन्य वैकल्पिक उत्पादन क्रियाओ में प्रयोग में जाने के बजाय उसमें रोका जा सके इस प्रकार का भुगतान व्यक्त तथा अव्यक्त दोनों रूपों में हो सकता है इस प्रकार आर्थिक लागत व्यक्त संसाधनों के आपूर्तिकर्ता को व्यक्त रूप में किए गए कुल भुगतान के बराबर होगी कुछ ऐसे व्यय होते हैं जिसके लिए भुगतान मुद्रा के रूप में उत्पादक द्वारा संसाधन आपूर्तिकर्ता को दिए जाते हैं जिसे हम व्यक्त लागत कहते हैं उत्पादक उत्पादन क्रिया में कुछ ऐसे साधन प्रयोग में ला रहा है जिसके प्रयोग के लिए वह कुछ भी भुगतान किसी बाहरी व्यक्ति को नहीं देता है ऐसे निजी संसाधन जैसे उसकी खुद की पूंजी श्रम या भूमि जो वह उत्पादन में प्रयोग में लाया है उसकी एक गहित या आरोपित लागत होती है जिसे भी लागत में रखा जाता है इस प्रकार आर्थिक लागत लेखांकन लागत से भिन्न होती है क्योंकि लेखांकन लागत में केवल मौद्रिक लागत को ही सम्मिलित किया जाता है आर्थिक लागत में साहसी की अवसर लागत के रूप में सामान्य लाभ सम्मिलित रहता है
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