लागत - विश्लेषण
जिस प्रकार मांग विश्लेषण में उपयोगिता का प्रमुख स्थान है उसी प्रकार पूर्ति के विश्लेषण में लागत का महत्वपूर्ण स्थान है किसी वस्तु के मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया में लागत विश्लेषण का अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि कोई भी उत्पादक अपनी उत्पादन लागत से कम मूल्य स्वीकार नहीं करना चाहेगा और इतना ही नहीं चुकी लाभ की गणना तब तक नहीं की जा सकती जब तक की वस्तु के मूल्य के साथ उसकी प्रति इकाई लागत का ज्ञान नहीं हो इसीलिए फॉर्म या उद्योग की संस्थिति निर्धारण की समस्या या अधिकतम लाभ या न्यूनतम हानि की स्थिति के निर्धारण की समस्या का तब तक अध्ययन नहीं किया जा सकता है जब तक की लागत का ज्ञान नहीं हो इस प्रकार उपभोक्ता की संस्थिति निर्धारण मैं जिस प्रकार प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में उपयोगिता या संतुष्टि का महत्वपूर्ण योगदान है उसी प्रकार उत्पादक की संस्थित के निर्धारण में लागत का महत्वपूर्ण योगदान है जब हम कोई उत्पादन क्रिया करते हैं तो कुछ आदत प्रयोग में लाते हैं उदाहरण के लिए मान लीजिए हम 100 इकाई प्राप्त करने के लिए 10 इकाई पूंजी की दो इकाई भूमि की एक इकाई कच्चा माल 25 इकाई लगाते हैं x की 100 तथा उसको प्राप्त करने में लगे इन आगतों के बीच के संबंध हम उत्पादन फलन कहते हैं अब मान लीजिए श्रम की एक इकाई₹10 हो तो हम उसी प्रकार फलन के आधार यह भी कह सकते हैं कि उत्पादन फलन के आधार पर लागत फलन को प्राप्त किया जा सकता है इसीलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि लागत फलन एक व्युत्पन्न फलन है जिसे उत्पादन फलन से प्राप्त किया जा सकता है उत्पादन फलन की ही तरह लागत फलन के दो रूप हो सकते हैं अल्पकालीन लागत फलन तथा दीर्घकालीन लागत फलन अल्पकालीन लागत फलन की स्थिति में उत्पादन के कुछ साधन स्थिर होते हैं जैसे मशीन भूमि प्रबंधन आदि परिवर्तित रहते हैं जबकि दीर्घकाल लागत फलन की स्थिति मैं सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन लगता पर व्यापारिक व्यय के रूप में प्रयुक्त किया जाता है पर कभी-कभी इसमें उस व्यय को सम्मिलित कर लिया जाता है जो वास्तव में उत्पादक प्रत्यक्ष रूप से वहन नहीं करता है बल्कि अप्रत्यक्ष रूप में वहन करता है जैसे व्यक्तिगत पूंजी जो उत्पादक ने उत्पादन क्रिया में लगाया है के ऊपर ब्याज क्योंकि यदि वह व्यक्तिगत पूंजी नहीं लगता बल्कि किसी से उधार लेता है तो उसे उस पूंजी पर ब्याज देना पड़ता है लागत की पहली वाली धारणा का प्रयोग लेखांकन की दृष्टि से किया जाता है पर अर्थशास्त्र में लागत का विस्तृत रूप में प्रयोग किया जाता है और उसमें उस अवसर लागत को भी सम्मिलित कर लिया जाता है जिसे उत्पादक को वहन करना पड़ता है यदि वह उन साधनों को अपने पास से नहीं लगता बल्कि दूसरे से लेता है जिसे उत्पादन के साधनों की इकाई तथा मुद्रा के रूप में पूंजी के मलिक को निश्चित रूप से प्राप्त होना चाहिए यदि फॉर्म को निरंतर देना है तो
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