व्यष्टि अर्थशास्त्र (Micro Economics Introduction)
प्रत्येक अर्थव्यवस्था अनेक आर्थिक इकाइयों की समूह होती है अर्थव्यवस्था भी फर्म उद्योग व्यक्ति आदि की तरह इकाई होती है इसका सबसे बड़ा स्वरूप होता है तथा इसका निर्माण इन इकाइयों के मिश्रण से होता है अर्थव्यवस्था से संबंधित किसी भी समस्या का विश्लेषण दो ढगों से किया जा सकता है एक तो संपूर्ण अर्थव्यवस्था की दृष्टि से तथा दूसरा अर्थव्यवस्था की अलग-अलग इकाइयों की दृष्टि से इस आधार पर आर्थिक समस्याओं को दो भागों में बांटा जा सकता है प्रथम अर्थव्यवस्था की विभिन्न इकाइयां फार्म उद्योग व्यक्ति से संबंधित समस्याएं जैसे वस्तु के मूल्य निर्धारण की समस्या फार्म में विवेककी कारण की समस्या फर्म में मजदूरी निर्धारण की समस्या से संपूर्ण अर्थव्यवस्था से संबंधित समस्याएं जैसे कल रोजगार की समस्या कल आय तथा बचत की समस्या पहली समस्या के विश्लेषण के लिए हम जिस विधि का प्रयोग करते हैं उसे व्यष्टि भावी विश्लेषण कहते हैं तथा दूसरी समस्या के विश्लेषण के लिए जिस विधि का प्रयोग करते हैं वह समष्टि भावी विश्लेषण कहते हैं माइक्रो शब्द ग्रीक भाषा के मैक्रोस शब्द से बना है जिसका अर्थ है छोटा उदाहरण से इसे समझने की कोशिश करते हैं यदि मान लीजिए हमें उपभोक्ता से संबंधित समस्या का अध्ययन करना है तो हम इसका ऐसे अध्ययन करेंगे की कोई व्यक्तिगत उपभोक्ता किस प्रकार अपने सीमित साधनों को व्यय करता है जिससे उसकी संतुष्टि अधिकतम हो तो इसके विश्लेषण का धन जी व्यष्टि भावी होगा क्योंकि इसमें हम एक व्यक्तिगत या व्यष्टि इकाई को लेकर अध्ययन कर रहे हैं पर यदि हम इसका अध्ययन करें कि पिछले दो वर्षों में उपभोक्ता वर्ग की स्थिति पहले से अच्छी हुई है या खराब तो यहां विश्लेषण सामग्र उपभोक्ता वर्ग से संबंधित है इसीलिए विश्लेषण का तरीका समष्टि भावी कहलायेगा यदि हम इसका विश्लेषण करें कि किसी मजदूर को मिलने वाली मजदूरी या आय का निर्धारण जो उसकी मंथली इनकम है इसको किस प्रकार निर्धारण कर सकते हैं यह समस्या व्यष्टि विश्लेषण से संबंधित है किसी एक व्यक्ति के रोजगार के अध्ययन का संबंध व्यष्टि परक होगा जबकि एक अर्थव्यवस्था में रोजगार के स्तर का निर्धारण या बेरोजगारी की समस्या का संबंध समष्टि परक होगा एक अर्थव्यवस्था में उद्योग या फर्म की समस्या का संबंध व्यष्टि विश्लेषण से होगा प्रोफेसर बोल्डिंग के अनुसार व्यष्टि भावी अर्थशास्त्र विशेष फर्मो परिवारों व्यक्तिगत कीमतों मजदूरियों आयो व्यक्तिगत उद्योगों तथा विशिष्ट वस्तुओं का अध्ययन है व्यष्टि भावी अर्थशास्त्र किसी भी अर्थव्यवस्था को उसी रूप में एक सूक्ष्मदर्शी के द्वारा देखा है यह देखा है कि किस प्रकार आर्थिक शरीर के असंख्य कोशाणु उपभोक्ता के रूप में व्यक्ति या परिवार तथा उत्पादक के रूप में व्यक्ति तथा फर्म संपूर्ण आर्थिक संगठन के क्रियाशीलन में अपनी भूमिका अदा करते हैं
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