स्फीतिकारी अन्तर (Inflationary gap)
देश में मुद्रास्फीति की समस्या स्फीतिकारी अन्तर के कारण उत्पन्न होती है तथा बेरोजगारी व मंन्दी की समस्याएं अवस्फीतिकारी अन्तर के कारण होती है स्फीतिकारी अन्तर की धारणा को समझना बड़ा उपयोगी है क्योंकि इससे ही इस बात का पता चलता है की अर्थव्यवस्था में सामान्य कीमत स्तर में वृद्धि होने का मुख्य कारण क्या है जैसा कि हम राष्ट्रीय आय के निर्धारण में अध्ययन करके पता चलता है कि किसी देश की अर्थव्यवस्था का संतुलन पूर्ण रोजगार के स्तर पर राष्ट्रीय उत्पादन अर्थात सकल घरेलू उत्पाद के बराबर होता है ऐसा तब होता है जब देश में निवेश की मात्रा पूर्ण रोजगार के स्तर पर राष्ट्रीय आय में होने वाली बचत के बराबर होती है कल्पना कीजिए यदि पूर्ण रोजगार के स्तर पर राष्ट्रीय आए हैं तो राष्ट्रीय आय पर संतुलन तब होगा जब समस्त मांग कुल व्यय के बराबर होगा सभी उत्पादन साधनों श्रमिकों सहित पूर्ण उपयोग अथवा रोजगार प्राप्त है इसीलिए इसके अधिक उत्पादन बढ़ाने की कोई संभावना नहीं है अब यदि समस्त मांग पूर्ण रोजगार की राष्ट्रीय आय को सुनिश्चित करने वाली समस्त मांग से अधिक है तो इससे संतुलन पर स्थापित नहीं होगा
Comments
Post a Comment