निवेश का महत्व (Importance of investment)
आज हम निवेश के महत्व के बारे में विस्तार से पड़ेंगे वह निवेश मांग अथवा निवेश प्रेरणा का विश्लेषण करेंगे निवेश के बारे में पूरा जानकारी के लिए हमारे साथ अंत तक बन रह इस लेख को पूरा जरूर पड़े निवेश को जानने से पहले हम यहां देश की राष्ट्रीय आय अथवा रोजगार की मात्रा को निर्धारित करने में निवेश की मांग का महत्वपूर्ण योगदान होता है अल्पकाल में निवेश की मात्रा जितनी अधिक होगी राष्ट्रीय आय और रोजगार उतना ही अधिक होगा पूर्ण रोजगार के स्तर पर हुई बचत से निवेश काम भी हो सकता है और अधिक भी जब पूर्ण रोजगार बचत की मात्रा से निवेश कम होता है तो अर्थव्यवस्था का संतुलन पूर्ण रोजगार की स्थिति से पूर्व ही स्थापित हो जाता है अर्थात अल्प रोजगार संतुलन स्थापित हो जाता है पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में अल्प रोजगार संतुलन की स्थिति उत्पन्न हो जाने के कारण की विवेचना की थी इसके विपरीत जब निवेश की मात्रा पूर्ण रोजगार के स्तर पर बचत से अधिक होती है तो देश में मुद्रास्फीति अर्थात मूल्य वृद्धि की दशा उत्पन्न हो जाती है इस प्रकार हम देखते हैं कि देश में राष्ट्रीय आय रोजगार और कीमतों को निर्धारित करने में निवेश का महत्वपूर्ण स्थान है अब पढ़ते हैं निवेश का अर्थ इसका अर्थ क्या होता है यह कैसे काम करता है।
निवेश का अर्थ ----यहां सबसे पहले हमको यह समझना है निवेश कहते किसे हैं क्या होता है निवेश आमतौर पर जब कोई व्यक्ति कंपनियों के शेयर अथवा ब्रांड खरीदता है या सरकार की प्रतिभूतियों में अपना रुपया लगता है तो कहा जाता है कि वह अपने रुपए का निवेश करता है परंतु यह वास्तविक निवेश नहीं है इसे तो वित्तीय निवेश कहते हैं सामान्यतः जब व्यक्ति शेयर खरीदता है और कोई दूसरा उसे बेचता है तो इसके परिणाम स्वरुप देश की वास्तविक पूंजी में कोई वृद्धि नहीं होती है अर्थशास्त्र में इसीलिए वास्तविक निवेश उसे कहते हैं जिससे वास्तविक पूंजी में वृद्धि हो अर्थात अर्थशास्त्र में निवेश का अर्थ यह होता है पूंजीगत पदार्थ जैसे की मशीन उपकरण औजार निर्माण कार्य जैसे मकान दुकान और फैक्ट्रियों की इमारतें आती तथा सार्वजनिक निर्माण कार्य जैसे की नहरें सड़कें पल और बांधों में वृद्धि को ही अर्थशास्त्र में निवेश कहा जाता है इस सभी प्रकार की पूंजी से आगे चलकर देश के उत्पादन में वृद्धि होती है
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