अर्थशास्त्र ( Economics :An Introduction)

 ज्ञान के असीम सागर में अनेक शास्त्र मोती के समान भरे पड़े हैं किसी भी शास्त्र को समझने के लिए उसके विषय में नियम प्रतिपादित करने पड़ते हैं अर्थशास्त्र की परिभाषाओ के संबंध में अनेक अर्थशास्त्रियों बहुत विवाद है प्रोफेसर जान मेनार्ड कीन्स तो यहां तक कहते हैं राज्य अर्थव्यवस्थाओं ने  परिभाषाओं से अपना गला घोट डाला है ज्यूथन ने अर्थशास्त्र को अपूर्ण विज्ञान कहा है। इसीलिए इसे निश्चित सीमा के भीतर रखना अत्यंत ही कठिन है अतः इसमें प्रारंभ से लेकर अब तक जो भी परिभाषाएं उपलब्ध हैं उनको चार वर्गों में बनता है

(१)- क्लासिकल अर्थशास्त्री , इसमें एडम स्मिथ जे० वी० से, सीनियर जे० एस मिल आदि द्वारा दी गई परिभाषाएं धन संबंधी हैं

(२)-नियो  क्लासिकल अर्थशास्त्री जैसे मार्शल पीगू कैनन आदि द्वारा दी गई परिभाषाएं कल्याण संबंधी परिभाषाएं हैं

(३)-आधुनिक अर्थशास्त्री राबिन्स फिलिप विकस्टीड बान मिसेज सेमुएलसन आदि द्वारा परिभाषाएं  समर्थित सीमितता या दुर्लभता संबंधी परिभाषाएं हैं

(४)-आवश्यकता विहीनता संबंधी परिभाषाएं -प्रोफेसर जे०के मेहता 

अब हम धन संबंधी परिभाषाओं अथवा क्लासिकल दृष्टिकोण को समझने की कोशिश करेंगे एडम स्मिथ ने अर्थशास्त्र को धन का विज्ञान माना उनका कहना था कि राष्ट्रों के धन का स्वरूप तथा कारणो की जांच करना ही अर्थशास्त्र की विषय सामग्री है एडम स्मिथ के अनुसार अर्थशास्त्र का प्रमुख उद्देश्य राष्ट्रों  की भौतिक संपत्ति में वृद्धि करना है  

प्रोफेसर जान स्टुअर्ट मिल-प्रोफेसर जान स्टुअर्ट मिल का कहना है कि राजनीतिक अर्थशास्त्र का संबंध धन के स्वभाव तथा उनके उत्पादन और वितरण के नियमों से है

नियो क्लासिकल दृष्टिकोण मार्शल तथा पीगू -मार्शल ने अपनी पुस्तक प्रिंसिपल आफ इकोनॉमिक्स में अर्थशास्त्र की परिभाषा राजनीतिक अर्थशास्त्र अथवा अर्थशास्त्र मानव जाति के साधारण व्यापार का अध्ययन है यह व्यक्तिगत तथा सामाजिक क्रियाओ  के उस भाग की जांच करता है जिसका निकट संबंध कल्याण के भौतिक साधनों की प्राप्ति तथा उनके उपभोग से है मार्शल की परिभाषाएं मानवीय कल्याण पर बल जीवन के साधारण व्यवसाय संबंधी क्रियाओ का अध्ययन भौतिक कल्याण का अध्ययन व्यक्तिगत तथा सामाजिक दोनों कार्यों पर बल  मार्शल ने अपनी परिभाषा में दिया है 

पीगू की परिभाषा-पीगू ने अर्थशास्त्र  आर्थिक कल्याण का अध्ययन है आर्थिक कल्याण से हमारा अभिप्राय समाज के उसे भाग से है जिसे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मुद्रा के मापदंड से संबंधित किया जा सकता है पीगू ने अर्थशास्त्र में मनुष्यों की कि उन्हीं क्रियाओ का अध्ययन किया है जो मुद्रा द्वारा मापी जा सकती है

राविन्स -सीमितता  या दुर्लभता संबंधी दृष्टिकोण अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो साध्यों तथा वैकल्पिक उपयोग वाले सीमित साधनों के संबंध के रूप में मानव व्यवहार का अध्ययन करता है 

सेमुएलसन -मुद्रा के प्रयोग द्वारा अथवा मुद्रा के बिना ही किस प्रकार से मनुष्य और समाज एक निश्चित अवधि में विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन के लिए दुर्लभ उत्पादन साधनों के प्रयोग को चुनते हैं और किस प्रकार उन्हें समाज के विभिन्न लोगों तथा समूहों के बीच वर्तमान तथा निकट भविष्य में उपयोग के लिए वितरित करते हैं

आशा है कि आपको समझ में आया होगा नहीं आये तो हमें जरूर बताइएगा

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