केन्ज के मनोवैज्ञानिक नियम की मान्यताएं
केन्ज का यह नियम तीन मुख्य मान्यताओं पर आधारित है इस नियम का पूर्ण रूपेण लागू होना भी इन्हीं पूर्व मान्यताओं पर निर्भर करता है तात्पर्य यह है कि यदि यह तीन मान्यताएं पूरी नहीं होती तो यह नियम काम नहीं करेगा सबसे पहले मान्यताएं पर व्याख्या करते हैं
1-वर्तमान मनोवैज्ञानिक एवं संस्थागत स्थिति में कोई परिवर्तन ना आए-- इस नियम की सबसे पहली मान्यता यह है कि उपभोग पूर्णतया आय पर ही निर्भर होना चाहिए हम यह कल्पना कर लेते हैं कि अन्य किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं होता केवल आय में ही परिवर्तन होता है दूसरे शब्दों में उपभोग फलन में कोई परिवर्तन नहीं होता यदि आय में परिवर्तन होने पर कहीं इसमें भी परिवर्तन आ जाए तो हम नहीं कह सकेंगे की आय में परिवर्तन होने पर उपभोग तथा बचत पर क्या प्रभाव पड़ेगा जिससे केंन्ज का उपभोग का नियम पूर्णतया व्यर्थ हो जाएगा मनोवैज्ञानिक परिवर्तन और संस्थाओं के परिवर्तन तो उपभोग फलन की काया ही पलट देते हैं इसका भाव यह है कि आय के अतिरिक्त अन्य किसी भी तत्व में परिवर्तन ना आए अर्थात आय का वितरण कीमतें जनसंख्या आदि पूर्ववत ही रहे यथार्थ में अल्पकाल में इन तत्वों में परिवर्तन आता भी नहीं है अतः यह नियम कुछ यथार्थ पर ही आधारित है किंतु दीर्घकाल में इन तत्वों में परिवर्तन आ जाते हैं ऐसी दशा में उपभोग फलन भी बदल जाएगा
2--- दूसरे मान्यता यह है कि जिस पर यह नियम आधारित है वह साधारण परिस्थितियों जैसे युद्ध ना हो क्रांति ना हो मुद्रा अतिस्फीति ना हो और परिणाम स्वरूप उपभोग प्रवृत्ति में परिवर्तन हो जाते हैं तो ऐसी दशा में तो सभी सामान्य नियम बदल जाते हैं उपभोग फलन प ही बना रहे
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