उपभोग के सिद्धांत
उपभोग फलन की धारणा की व्याख्या आय तथा रोजगार सिद्धांत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है अनेक व्यक्तिगत तथा वास्तुगत तत्वों की चर्चा की जो एक समाज के उपभोग को निर्धारित करते हैं केंन्ज के अनुसार सभी तत्वों में से आय का वर्तमान स्तर ही एक व्यक्ति तथा समाज के भी उपभोग को निर्धारित करता है क्योंकि केंन्ज उपभोग के निर्धारक तत्व के रूप में आय के निरपेक्ष आकर पर जोर देते हैं अतः उनके सिद्धांत को उपभोग का निरपेक्ष आय सिद्धांत भी कहा जाता है इसके अतिरिक्त केंन्ज ने उपभोग का एक मनोवैज्ञानिक नियम प्रस्तुत किया जिसके अनुसार आय में वृद्धि के साथ उपभोग में वृद्धि होती है किंतु उतनी अधिक नहीं होती जितनी की आय में वृद्धि होती है अन्य शब्दों में सीमांत उपभोग प्रवृत्ति एक से कम होती है
1≤∆c/∆y <0
जब से किन्ही ने अपना उपभोग का सिद्धांत प्रतिपादित किया तब से इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण विकास हुआ है तथा उपभोक्ता के व्यवहार के अनेक वैकल्पिक सिद्धांत प्रस्तुत किए गए हैं प्रथम मत यह है कि उपभोग व्यय एक व्यक्ति की आय के निरपेक्ष आकर के बजाय अन्य व्यक्ति की आय की तुलना में उसकी आय पर निर्भर करती है इसका सिद्धांत उपभोग का सापेक्ष आय सिद्धांत कहा जाता है जिसे जीवन चक्र परिकल्पना के रूप में जाना जाता है जिसके अनुसार एक व्यक्ति अपनी जीवन अवधि की समस्त उपभोग योजना को नियोजित करता है जो कि उसकी वर्तमान आय पर बहुत अधिक नहीं बल्कि संपूर्ण जीवन अवधि में आय कि उसकी आशंसाओ पर निर्भर करता है इसके अतिरिक्त एक प्रसिद्ध अमेरिकी अर्थशास्त्री फीडमैन ने उपभोग व्यवहार से संबंधित एक परिकल्पना का विकास किया है जिसे स्थाई आय परिकल्पना कहा जाता है जिसके अनुसार एक व्यक्ति का उपभोग से उसकी आय के वर्तमान स्तर के बजाय स्थाई आय पर निर्भर करता है जहां अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार विजेता कुजनेटस द्वारा व्यक्त उपभोग की एक महत्वपूर्ण पहेली की चर्चा करना महत्वपूर्ण है आय की वृद्धि के साथ उपभोग पर व्यय की जान वाली आय का अनुपात घटता जाता अर्थात आय में वृद्धि के साथ उपभोग की औसत प्रवृत्ति घटती जाती है के विपरीत अमेरिका की अर्थव्यवस्था के उपभोग के अनुभाविक अध्ययन से कुजनेटस को ज्ञात हुआ कि आय में महत्वपूर्ण वृद्धि के बावजूद दीर्घकाल में उपभोग की औसत प्रवृत्ति स्थिर बनी हुई थी आय मैं अत्यधिक वृद्धि होने के बावजूद भी उपभोग की औसत प्रवृत्ति किस प्रकार स्थिर बनी रही है यह उपभोग सिद्धांत में एक बड़ी पहेली बनी हुई है हम जीवन चक्र परिकल्पना के स्थाई आय सिद्धांत को आने वाली लिखो में विस्तार से पढ़ेंगे।
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