उपभोक्ता की बचत सिद्धांत का आधुनिक रूप
अनधिमान वक्र द्वारा उपभोक्ता की बचत की माप या उपभोक्ता के बचत की व्याख्या तब होती है जब उपयोगिता मापनीय नहीं हो मार्शल द्वारा प्रतिपादित उपभोक्ता की बचत सिद्धांत की अधिकांश आलोचनाएं सिद्धांत की अवास्तविक मान्यताओं के आधार पर की गई है विशेष रूप से यह कहा गया है की उपयोगिता की माप संभव नहीं है तथा मुद्रा से मिलने वाली उपयोगिता स्थिर नहीं रहती है पर आधुनिक अर्थशास्त्रीय हिक्स ने अधिमान वक्र के माध्यम से इसे व्यक्त करने का दूसरा ढंग स्पष्ट किया तथा मार्शल के तरीके में व्याप्त दोषो को दूर करने का प्रयास किया पर जहां तक उपयोगिता की बचत के मौलिक विचार अथवा परिभाषा का प्रश्न है दोनों में कोई भिन्नता नहीं है हिक्स के अनुसार उपभोक्ता की बचत की माप उसकी आय की बचत के रूप में करना चाहिए इस प्रकार वस्तु के मूल्य में कमी के कारण उस वस्तु के क्रय में उपभोक्ता की आय में जो बचत होगी उसे उपभोक्ता की बचत कहेंगे अनधिमान वक्र के माध्यम से उपभोक्ता की बचत की परिभाषा देते हुए प्रोफेसर हिक्स ने इस प्रकार कहा है उपभोक्ता की बचत मुद्रा की वह मात्रा है जो उसकी आर्थिक दशा में कुछ परिवर्तन के बाद या तो उपभोक्ता को दी जानी चाहिए अथवा उससे ले ली जानी चाहिए जिससे उपभोक्ता या तो ऊपर उठ जाए अथवा नीचे आ जाए तथा उसी अनधिमान वक्र पर वह इस प्रकार के परिवर्तन के पहले था।
मान लीजिए बाजार में मूल्य के ज्ञान के पूर्व आप यह सोचते हैं कि कोई वस्तु₹20 रुपए में प्राप्त हो जाएगी और यदि बाजार में जाने के बाद उसके मूल्य का ज्ञान होता है और वस्तु ₹15 में मिल जाती है इस स्थिति में 20 -15 =5 रुपए मुद्रा के रूप में उपभोक्ता की बचत हुई दूसरा उदाहरण यह मान लेते हैं आप यदि उम्मीद करते हैं कि ₹20 में किसी वस्तु की 30 इकाई अवश्य प्राप्त हो जाएगी यदि बाजार में जाने के बाद₹20 रू० खर्च करने के बाद आपको 40 इकाई प्राप्त हो जाए तो 40-30 =10 वस्तु की इकाई के रूप में उपभोक्ता की बचत होगी इन्हीं दोनों स्थितियों पहले उदाहरण में हम क्रय की जाने वाली वस्तु की मात्रा निश्चित कर लेते हैं दूसरे हमें क्रय की जाने वाली मुद्रा की मात्रा निश्चित कर लेते हैं
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