खुली अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय का निर्धारण

 अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय का निर्धारण कैसे होता है आज हम इस पर चर्चा करेंगे ।खुली अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय का निर्धारण चार क्षेत्रीय मॉडल के आधार पर होता है हम आपको एक-एक मॉडल के बारे में विस्तार से अपनी आने वाली लेख में बताएंगे राष्ट्रीय आय निर्धारण के चार क्षेत्रीय मॉडल में सबसे पहले जो मॉडल आता है वह मॉडल है विदेशी व्यापार आईए अब इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे

 विदेशी व्यापार तथा राष्ट्रीय आय--- राष्ट्रीय आय का निर्धारण विदेशी व्यापार को तीन क्षेत्रों अर्थात उपभोग निवेश सरकार के व्यय  में विदेशी व्यापार को जोड़ते हैं विदेशी व्यापार जो देश के निर्यात तथा आयत का जोड़ होता है यह राष्ट्रीय आय को प्रभावित करता है अब हम केन्ज के राष्ट्रीय आय निर्धारण की  व्याख्या में विदेशी व्यापार को सम्मिलित करके केन्ज के सिद्धांत का खुली अर्थव्यवस्था के प्रसंग में विश्लेषण करेंगे उपभोग मांग निवेश तथा सरकार के व्यय की तरह वस्तुओं तथा सेवाओं का निर्यात भी अर्थव्यवस्था की समस्त मांग का एक अंग है और इसीलिए इसकी राष्ट्रीय आय के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका होती है किसी देश के निर्यात विदेशों द्वारा उसकी वस्तुओं के लिए मांग पर निर्भर करते हैं अतः निर्यात किसी देश की आंतरिक आय से  स्वतंत्र होते हैं इस प्रकार निर्यात आय स्वतंत्र होते हैं इसके अतिरिक्त किसी देश के निर्यात अधिकतर विदेशी कारकों पर निर्भर करते हैं किसी देश के निर्यात अनेक विदेशी तथा आंतरिक तत्वों पर निर्भर करते हैं निर्यात को निर्धारित करने वाले महत्वपूर्ण कारक विदेश की आय निर्यात की जाने वाली वस्तुओं तथा सेवाओं के अन्य देशों की तुलना में कीमतें किसी देश की करेंसी को विदेशी विनिमय दर विदेशों द्वारा लगाए गए आयात कर और उनकी  विदेशी व्यापार नीति विदेश के आयात की आय लोच इत्यादि होते हैं राष्ट्रीय आय के निर्धारण में निर्यात को देश की आय से स्वतंत्र तथा मॉडल से बाहर से निर्धारित हुआ कारक के रूप में माना जाता है इसीलिए इसे प्राय स्थिर कारण के रूप में राष्ट्रीय आय के अन्य निर्धारकों में जोड़ा जाता है भारत के निर्यात भारतवासियों के लिए आय का सृजन करते हैं इसके अतिरिक्त निर्यात का भी किसी देश की आय पर निवेश की तरह गुणक  प्रभाव होता है 

 आयत फलन ----आयत किसी देश के लोगों द्वारा विदेशी वस्तुओं के लिए मांग प्रदर्शित करते हैं आयत के लिए किए गए भुगतान किसी देश के आयात प्रभाव के रिसाव के समान हैं क्योंकि इससे देश की आय का कुछ भाग विदेशों को चला जाता है और विदेशी लोगों के लिए आय का सृजन करता है किसी देश के आयात को निर्धारित करने वाले महत्वपूर्ण आंतरिक कारण होते हैं जिसमें प्रमुख है किसी देश विशेष का आय स्तर स्वदेशी वस्तुओं की तुलना में विदेशी वस्तुओं की कीमतें आयत के लिए आय लोच किसी देश द्वारा लगाए गए आयात कर तथा सरकार की आयात नीति विदेशी विनिमय दर अतः राष्ट्रीय आय के चार क्षेत्रीय मॉडल में उपयुक्त आयात के निर्धारकों को अल्पकाल में प्राय स्थिर मान लिया जाता है और आयात को कुछ स्वतंत्र आयात को छोड़कर केवल राष्ट्रीय आय पर निर्भर माना जाता है अतः आयात फलन को हम इस प्रकार से लिख सकते हैं 

                           M=M+my 

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