केन्जियन सिद्धांत का आर्थिक नीति संबंधी सुझाव
केन्ज के प्रतिदर्श मॉडल से रोजगार तथा आय में वृद्धि के लिए उचित आर्थिक नीति निर्माण के संबंध में महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकलते हैं जब अर्थव्यवस्था का संतुलन पूर्ण रोजगार से कम स्तर पर होता है और अर्थव्यवस्था में मन्दी और भीषण बेरोजगारी की स्थिति पाई जाती है तो मुख्य रूप से दो प्रकार की नीतियां मौद्रिक तथा राजकोषीय नीतियां अपनाई जा सकती है मौद्रिक नीति के अंतर्गत मुद्रा पूर्ति में वृद्धि करके ब्याज की दर घटाकर निजी निवेश को प्रोत्साहित किया जा सकता है निजी निवेश के बढ़ने से समस्त मांग में वृद्धि होगी जिसके फल स्वरुप रोजगार तथा आय के स्तर बढ़ेंगे और मंदी दूर होगी किंतु केंन्ज को मौद्रिक नीति के प्रभावशाली होने पर संदेह था उसके विचार में मंन्दी की अवस्था में ब्याज दर बहुत न्यून होती हैं और इस न्यून ब्याज की दर पर नकदी अधिमान वक्र पूर्णतया लोचदार अथवा क्षितिज के समांतर आकृति का होता है इसके अतिरिक्त केंन्ज के विचारानुसार निवेश मांग वक्र ब्याज दर के प्रति अधिक लोचदार नहीं होता और यदि मुद्रा पूर्ति में वृद्धि से ब्याज दर कुछ कम भी होती है तो भी निजी निवेश अधिक मात्रा में नहीं बढ़ पाता
परिणाम स्वरूप मंन्दी और बेरोजगारी को दूर करने के लिए केंन्ज ने राजकोषीय नीति पर बल दिया राजकोषीय नीति के अंतर्गत सरकार को अपने व्यय को सार्वजनिक परियोजनाओं पर बढ़ा देना चाहिए सरकारी व्यय के बढ़ने से भी समस्त मांग वक्र ऊपर को विवर्तित होगा जिस रोजगार तथा आय का स्तर बढ़ेगा और मंदी दूर होगी उम्मीद है कि आपको समझ में आया होगा यदि कोई भी टॉपिक आप इकोनॉमिक्स में समझना चाहे तो प्लीज कमेंट में बताइएगा धन्यवाद
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