उपभोक्ता के व्यवहार का सिद्धांत
किसी वस्तु की क्रय या उसकी मांग या उसके उपभोग की मात्रा के सम्बन्ध मे कोई उपभोक्ता विभिन्न परिस्थितियों में किस प्रकार से व्यवहार करता है इसे हम उपभोक्ता का व्यवहार कहते है उस वस्तु का मूल्य जिसकी मांग,या उपभोग के सम्बन्ध में अध्ययन करेंगे जैसे हम देखते हैं कि उपभोक्ता का व्यवहार जो होता है वह उसकी आय अन्य वस्तुओ का मूल्य रूचि तथा फैशन उपभोक्ता की सम्पत्ति भविष्य में आय प्रभाव तथा उसकी निश्चित आदि ऐसे प्रमुख चर हैं जो किसी उपभोक्ता के व्यवहार को प्रभावित करते हैं उपभोक्ता के व्यवहार के सिद्धांत वस्तुत इसी के विश्लेषण से संबंधित होते हैं की कोई भी उपभोक्ता इन चरो के परिवर्तन के संदर्भ में किस प्रकार व्यवहार करता है अर्थात यदि इन चारों में परिवर्तन हो तो इसका क्या प्रभाव वस्तु की मांग पर पड़ता है इसे ही हम उपभोक्ता के व्यवहार का विश्लेषण कहते हैं उपभोक्ता के व्यवहार के अध्ययन की समस्या को प्रमुख रूप से दो भागों में बांटा जा सकता है पहले यह की सीमित साधनों के विभिन्न आवश्यकताओं या साध्यों के बीच बंटवारे की समस्या जिससे उपभोक्ता अधिकतम संतुष्टि या संस्थित की स्थिति को प्राप्त कर सकें इसे हम संस्थित निर्धारण की स्थिति को प्राप्त कर सकते हैं उपभोक्ता के व्यवहार को प्रभावित करने वाले चरण जैसे मूल्य(Px) उपभोक्ता की आय (Y)तथा अन्य वस्तुओ का मूल्य (Pn-x) स्थिर रहे
उपभोक्ता के व्यवहार को प्रभावित करने वाले विभिन्न चरो को एक-एक करके परिवर्तित करके देखने की इनके परिवर्तन का क्या प्रभाव उपभोक्ता के व्यवहार या उस वस्तु के उपभोग या पर पड़ता है
उपभोक्ता के व्यवहार का प्रारंभ ही एक सरल प्रश्न के साथ होता है और वह यह है कि उपभोक्ता किसी वस्तु की मांग क्यों करता है या किसी वस्तु को क्रय क्यों करता है कोई उपभोक्ता किसी वस्तु की मांग इसलिए करता है कि क्योंकि वस्तु में उसकी आवश्यकता की संतुष्टि कि क्षमता होती है जैसे फल में भूख को पूरा करने की क्षमता आवश्यकता की संतुष्टि की किसी वस्तु की यह क्षमता ही उस वस्तु की उपयोगिता कहलाती है किसी वस्तु से मिलने वाली उपयोगिता ही उपभोक्ता के व्यवहार के विश्लेषण की मूल कड़ी है किसी वस्तु से मिलने वाली उपयोगिता को व्यक्त करने के लिए या मापने के लिए अर्थशास्त्रियों में हमेशा मतभेद रहा है कुछ अर्थशास्त्रियों ने यह माना कि किसी वस्तु से मिलने वाली उपयोगिता का संख्यात्मक माप उपयोगिता को 30 ,40,5 आदि रूपों में व्यक्त करना संभव है तो कुछ ने यह माना कि उपयोगिता का संख्या के रूप में नहीं व्यक्त किया जा सकता बल्कि उपयोगिता का क्रम वाचक मैप ही संभव है अर्थात विभिन्न वस्तुओं या किसी वस्तु की विभिन्न इकाइयों को उपयोगिता की दृष्टि से केवल क्रमबद्ध किया जा सकता है जैसे चौथी पहली तीसरी आदि
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