समस्त पूर्ति( Aggregate supply)

 समस्त पूर्ति का अर्थ यह है कि अर्थव्यवस्था के सभी उद्यमी श्रमिकों की विभिन्न संख्याओं को काम पर लगाते हैं तो उन्हें उन श्रमिकों द्वारा बनायीं गई कुल वस्तुओं के लिए इतनी कल मुद्रा राशि अवश्य मिलनी चाहिए जिससे वह उन श्रमिकों को कार्य अथवा रोजगार पर लगाए रखें यह मुद्रा राशि जो उद्यमियों को अवश्य मिलनी चाहिए वह श्रमिकों को उत्पादक कार्यों में लगाने का  सूचक है

एक समस्त पूर्ति वक्र श्रमिकों की विभिन्न संख्याओं को काम रोजगार उपलब्ध कराना तथा उनकी समस्त पूर्ति लागतों में संबंध को प्रकट करता है समस्त पूर्ति लागत से अभिप्राय देश के सभी उधमकर्ताओं द्वारा श्रमिकों की किसी एक संख्या को काम पर लगाने से उनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं से इतनी मुद्रा राशि अवश्य प्राप्त हो जिससे वह उन्हें काम पर लगाने के लिए प्रेरित हो सके

अर्थव्यवस्था का समस्त पूर्ति वक्र अनंत उत्पादन संबंधी भौतिक अथवा तकनीकी स्थितियों पर निर्भर करता है उत्पादन संबंधी ये भौतिक या तकनीकी दशाएं प्राय अल्पकाल मैं नहीं बदलती यदि किसी समय तकनीकी दशाएं दी गई हो उत्पादन  बढ़ाने के लिए अधिक श्रमिकों को कार्य पर लगाना होता है, अर्थात उनको  रोजगार उपलब्ध कराना होता है किन्तु जब उत्पादन रोजगार बढ़ाए जाते हैं तो उत्पादन पर अधिक लागत  उठानी पड़ेगी उत्पादन चाहे बढ़ती दर ,या घटती समान लागत  के नियम के अनुसार हो अतिरिक्त उत्पादन हेतु  जब अधिक  श्रमिकों को कार्य अथवा रोजगार पर लगाया जाता है तो उस  पर अधिक लागत उठानी पड़ेगी।  


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