समस्त मांग (Aggregate Demand)
समस्त मांग का अर्थ है कि देश की जनता एक वर्ष में वस्तुओं तथा सेवाओं पर कितना व्यय वास्तव में करती है क्योंकि केन्ज अपने विश्लेषण में कीमत स्तर को स्थिर मान लेते हैं इसलिए वस्तुओं तथा सेवाओं पर किया गया व्यय उनकी मांगी गई मात्राओं को व्यक्त करता है यहां हम इसे दूसरे शब्दों में समझते हैं अर्थव्यवस्था का समस्त मांग वक्र रोजगार के विभिन्न स्तरों पर समस्त मांग राशियों को व्यक्त करता है अर्थात जब अर्थव्यवस्था में श्रमिकों की किसी एक संख्या को रोजगार पर लगाने पर जितना उत्पादन होता है उसको बेचने से अर्थव्यवस्था के सभी उद्यमी कुल जितनी मुद्रा राशि वास्तव में प्राप्त करने की आशा करते हैं वह रोजगार के उस स्तर पर की समस्त मांग अथवा व्यय होती है केन्ज का एक महत्वपूर्ण योगदान समस्त मांग की धारणा है जो परंपरागत विचारधारा से काफी भिन्न है यदि हम सरकार द्वारा व्यय तथा निर्यात द्वारा उत्पन्न मांग को विश्लेषण में सम्मिलित ना करें तो केन्ज मांग के दो घटक बताते हैं पहला घटक है लोगों की उपभोग के लिए वस्तुओं तथा सेवाओं की मांग जिसे साधारणतया उपभोग मांग तथा उपभोग व्यय कहते हैं दूसरा घटक है उधमकर्ताओं द्वारा निवेश पर किया गया व्यय अथवा निवेश मांग उपभोग व्यय आय तथा उपभोग प्रवृत्ति पर निर्भर करता है यह उपभोग प्रवृत्ति लोगों की अनेक उद्देश्यों जैसे कि कठिन परिस्थितियों जैसे बीमारी बेरोजगारी आदि के लिए बचत करने की इच्छा तथा कुछ प्रत्याशित आवश्यकताओं जैसे कि बच्चों की शिक्षा उनका विवाह आदि के लिए बचत करने तथा भविष्य में निवेश करने के उद्देश्य से धन जुटा कर रखने की इच्छा पर निर्भर करता है इसके अतिरिक्त समूचे समाज कि उपभोग प्रवृत्ति सामान्य कीमत स्तर सरकार की कराधान तथा व्यय नीति ब्याज दर तथा लोगों की भविष्य के विषय में आशसाए आदि द्वारा निर्धारित होती हैं समाज की उपभोग प्रवृत्ति दी हुई होने पर उपभोग मांग आय में वृद्धि के साथ बढ़ती है परंतु इसमें वृद्धि आय में वृद्धि की तुलना में कम होती है उपभोग मांग वक्र आय के बढ़ने से ऊपर की ओर चढ़ता है यदि सीमांत उपभोग प्रवृत्ति स्थिर रहती है तो वह मांग वक्र सरल हो जाता है
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