मजदूरी कीमत लचीलापन तथा रोजगार

रोजगार का क्लासिक सिद्धांत अर्थव्यवस्था में रोजगार लाने के लिए मजदूरी में कटौती करने का समर्थन करते हैं बेरोजगारी की समस्या का हल करने के लिए मजदूरी में कटौती का विरोध तथा प्रभावी मांग में वृद्धि करने का समर्थन करता है रोजगार के बीच संबंध के बारे में क्लासिकी तथा केन्जीय मतों तथा हम सविस्तार विचार 

क्लासिकी मत -क्लासिकल अर्थशास्त्रियों का विश्वास था कि अर्थव्यवस्था में सदैव पूर्ण रोजगार की स्थित रहती है बेरोजगारी होने पर मुद्रा मजदूरी में सामान्य कटौती अर्थव्यवस्था को पूर्ण रोजगार के स्तर पर ले आएगी 
उनका 
प्रतियोगिता अर्थव्यवस्था में जब मुद्रा मजदूरी में कटौती की जाती है तो उससे उत्पादन की लागत कम हो जाती है और परिणामस्वरूप वस्तुओं की कीमतें गिर जाती है जब कीमतें गिरती है तो वस्तुओं के लिए मांग बढ़ेगी और बिक्री में वृद्धि 
होगी बढ़ी हुई बिक्री से अधिक श्रम को रोजगार पर लगाना आवश्यक हो जाएगा और अन्त में पूर्ण रोजगार प्राप्त हो जाएगा 
क्लासिकी‌ मत इस मान्यता पर आधारित है कि मुद्रा मजदूरी सीधे और समानुपातिक तौर से वास्तविक मजदूरी से संबंधित है इसलिए जब मुद्रा मजदूरी में कटौती की जाती है तो वास्तविक मजदूरी भी उसी अनुपात में घट जाती है परिणामस्वरूप बेरोजगार कम हो जाती है और पूर्ण रोजगार पाया जाता है

परन्तु एक विशेष दर पर श्रम की मांग और पूर्ति की समानता पर पूर्ण रोजगार प्राप्त होता है श्रम की मांग वास्तविक मजदूरी दर का घटता हुआ फलन है 



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