केन्द्रीय बैंक का साख नियंत्रण

केंद्रीय बैंक का उद्देश्य साख को नियंत्रित करना है भी है ताकि विकासशील अर्थव्यवस्था मैं निवेश तथा उत्पादन के ढांचे प्रभावित किए जा सकें इसका मुख्य ध्येय विकास की प्रक्रिया में उत्पन्न होने वाले स्फीतिकारी दबावों पर काबू पाना है इसके लिए साख नियंत्रण के मात्रात्मक तथा गुणात्मक दोनों प्रकार के उपाय काम में लाने की जरूरत है 

अल्प विकसित देशों में स्फीति रोकने के लिए खुले बाजार प्रचलन सफल नहीं है क्योंकि बिल बाजार छोटा और अल्प विकसित होता है कमर्शियल बैंक लोच नकदी अनुपात रखते हैं क्योंकि उन पर केंद्रीय बैंक का पूर्ण नियंत्रण होता है अपनी अपेक्षाकृत कम ब्याज दरों के कारण वह सरकारी प्रतिभूतियों मैं भी निवेश नहीं करना चाहते फिर वह सरकारी प्रतिभूतियां मैं निवेश की वजाय अपने रिजर्व को तरल रूप में अर्थात स्वर्ण विदेशी विनिमय तथा नकदी के रूप में रखने को प्राथमिकता देते हैं केवल अन्तिम शर्त ही लागू होती है  

क्योंकि कमर्शियल बैंकों में पुनर्बटटा अथवा केंद्रीय बैंक से उधार लेने की आदत नहीं होती है बट्टा बिलों के आभाव और कमर्शियल बैंकों के विशाल नकदी रिजर्व रखने के स्वभाव के कारण अल्पविकशित देशों में बैंक दर नीति भी बहुत सफल नहीं है जहां केंद्रीय बैंक अधिक शक्तिशाली है वहां वह बैंक दर में उचित परिवर्तन करके बाजार दरों को प्रभावित कर सकता है 

खुले बाजार प्रचालनों और बैंक दर नीति की अपेक्षा साख नियंत्रण के उपाय के रूप में परिवर्तित रिजर्व अनुपात का प्रयोग अधिक सफल है क्योंकि अल्पविकसित देशों में कमर्शियल बैंक विशाल नकदी रखते हैं इसलिए वहां वे अधिक साख का निमार्ण कर सकते हैं केंद्रीय बैंक अनिवार्य रिजर्व अनुपात बढ़ा कर इस विस्तार को रोक सकता है पर साख के आवंटन और परिणामत निवेश के ढांचे को प्रभावित करने में साख नियंत्रण के गुणात्मक उपायों की अपेक्षा मात्रात्मक उपाय अधिक सफल है

अल्प विकसित देशों में यह प्रवृति प्रबल होती है की कृषि खनन बागान और उद्योग में उपलब्ध वैकल्पिक उत्पादक दिशाओं की बजाय स्वर्ण आभूषणों मालसूचियो भूसम्पति आदि में नियंत्रित एवं सीमित करने के लिए चयनात्मक साख नियंत्रण अधिक उचित है वे खाद्यान्नों और कच्चे माल में सटामूलक क्रियाओ को रोकने में अधिक लाभदायक है आयात करने वालो पर यह शर्त लगाकर कि वे विदेशी करेंसी के मूल्य के बराबर राशि अग्रिम जमा करें वे आयात के लिए मांग घटा देते हैं

इस प्रक्रिया में जिस सीमा तक बैको की जमाए केंद्रीय बैंक को हस्तान्तरण होती है उस सीमा तक ये उपाय बैंकों के रिज़र्व भी घटा देते हैं चयनात्मक साख नियंत्रण उपाय यह रूप भी धारण  कर सकते हैं जैसे उपभोक्ता साख नियंत्रण के राशनिंग और सीमा आवश्यकताओं को बदल देना

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