बचत निवेश संबंध तथा कीमत स्तर ( saving investment relationship and price level
आय का यान्त्र बचत तथा निवेश में समानता लाता है दूसरी ओर आय बचत और निवेश में संबंध पर निर्भर करती है जब तक बचत और निवेश बराबर रहेंगे तब तक आय का संतुलन स्तर बना रहेगा और कीमत स्तर स्थिर रहेगा यदि बचत और निवेश गड़बड़ा दिए जाएंगे तो व्यय में परिवर्तन के माध्यम से कीमत स्तर में परिवर्तन होगा
यदि निवेश की अपेक्षा बचत बढ जाती है तो इसका मतलब है कि लोग वस्तुओं तथा सेवाओं पर अपना व्यय घटा देते हैं इससे वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादकों की आय घट जाती है व्यय तथा आय के घटने से कीमत स्तर गिर जाता है जब कीमतें गिरती है तो निवेश भी घट जाता हैं जिसके परिणामस्वरूप आय उत्पाद रोजगार बचत तथा कीमतें और अधिक गिर जाती है यह प्रक्रिया तब तक चलती रहेगी जब तक कीमतें मंदी की तह तक नहीं पहुंच जाती है इसके विपरीत यदि बचते घटेगी तो परिणाम व्यय आय निवेश उत्पादन और कीमते बढ़ेगी
यदि बचत की अपेक्षा निवेश बढ़ जाएगा तो आय बढ़ेगी जिससे उपभोक्ता वस्तुओं पर व्यय बढ़ेगा और परिणाम कीमत स्तर बढ़ेगा इससे लाभ प्रत्याशाए बढ़ेगी परिणामत निवेश और बढ़ेगा जो आगे रोजगार आय व्यय उत्पादन और कीमतों को और अधिक ऊंचे स्तरो तक बढ़ाएगा परन्तु जब निवेश बढ़ने से समस्त व्यय मांग और आय में वृद्धि होती है तो कीमत स्तर तुरंत नहीं बढ़ जाता है जब तक वस्तुओं तथा सेवाओं की मांग में वृद्धि के साथ साथ वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन आनुपातिक रूप से बढ़ता जाएगा तब तक कीमत स्तर में सामान्य वृद्धि नहीं होगी यदि उत्पादन नहीं बढ़ेगा तो निवेश में वृद्धि से आय तथा कीमत स्तर बढ़ जाएगा
जब अर्थव्यवस्था में संसाधन बेरोजगारी हो जब अर्थव्यवस्था पूर्ण रोजगार स्तर पर पहुंच जाएगी तो आय में और वृद्धि होने से उत्पादन बढ़कर समस्त व्यय में वृद्धि के स्तर पर पहुंच जाएगी तो आय में और वृद्धि होने से उत्पादन बढ़कर समस्त व्यय में वृद्धि के स्तर तक नहीं पहुंचेगा परिणामत कीमत स्तर ऊपर की ओर बढ़ेगा
निष्कर्ष में कहा जा सकता है कि कीमतों के आय सिद्धांत में एक ओर आय तथा समस्त मांग का विश्लेषण और दूसरी ओर लागतों तथा समस्त पूति का विश्लेषण पाया जाता है कीमतों को मुद्रा आय तथा वास्तविक आय निर्धारित करती है
P. == Y/O.जिसमे P.कीमतो का सामान्य स्तर है Y. मुद्रा का परिव्यय है जो आय का प्रवाह उत्पन्न करते हैं और O उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं का भैतिक परिणाम है जब उत्पादन की अपेक्षा मुद्रा परिव्यय अधिक तेजी से बढ़ते तो कीमते बढ़ने लगेगी दूसरी ओर यदि. Y. की अपेक्षा O. अधिक तेजी से बढ़े तो आशा करनी चाहिए कि p गिरेगा
यदि निवेश की अपेक्षा बचत बढ जाती है तो इसका मतलब है कि लोग वस्तुओं तथा सेवाओं पर अपना व्यय घटा देते हैं इससे वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादकों की आय घट जाती है व्यय तथा आय के घटने से कीमत स्तर गिर जाता है जब कीमतें गिरती है तो निवेश भी घट जाता हैं जिसके परिणामस्वरूप आय उत्पाद रोजगार बचत तथा कीमतें और अधिक गिर जाती है यह प्रक्रिया तब तक चलती रहेगी जब तक कीमतें मंदी की तह तक नहीं पहुंच जाती है इसके विपरीत यदि बचते घटेगी तो परिणाम व्यय आय निवेश उत्पादन और कीमते बढ़ेगी
यदि बचत की अपेक्षा निवेश बढ़ जाएगा तो आय बढ़ेगी जिससे उपभोक्ता वस्तुओं पर व्यय बढ़ेगा और परिणाम कीमत स्तर बढ़ेगा इससे लाभ प्रत्याशाए बढ़ेगी परिणामत निवेश और बढ़ेगा जो आगे रोजगार आय व्यय उत्पादन और कीमतों को और अधिक ऊंचे स्तरो तक बढ़ाएगा परन्तु जब निवेश बढ़ने से समस्त व्यय मांग और आय में वृद्धि होती है तो कीमत स्तर तुरंत नहीं बढ़ जाता है जब तक वस्तुओं तथा सेवाओं की मांग में वृद्धि के साथ साथ वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन आनुपातिक रूप से बढ़ता जाएगा तब तक कीमत स्तर में सामान्य वृद्धि नहीं होगी यदि उत्पादन नहीं बढ़ेगा तो निवेश में वृद्धि से आय तथा कीमत स्तर बढ़ जाएगा
जब अर्थव्यवस्था में संसाधन बेरोजगारी हो जब अर्थव्यवस्था पूर्ण रोजगार स्तर पर पहुंच जाएगी तो आय में और वृद्धि होने से उत्पादन बढ़कर समस्त व्यय में वृद्धि के स्तर पर पहुंच जाएगी तो आय में और वृद्धि होने से उत्पादन बढ़कर समस्त व्यय में वृद्धि के स्तर तक नहीं पहुंचेगा परिणामत कीमत स्तर ऊपर की ओर बढ़ेगा
निष्कर्ष में कहा जा सकता है कि कीमतों के आय सिद्धांत में एक ओर आय तथा समस्त मांग का विश्लेषण और दूसरी ओर लागतों तथा समस्त पूति का विश्लेषण पाया जाता है कीमतों को मुद्रा आय तथा वास्तविक आय निर्धारित करती है
P. == Y/O.जिसमे P.कीमतो का सामान्य स्तर है Y. मुद्रा का परिव्यय है जो आय का प्रवाह उत्पन्न करते हैं और O उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं का भैतिक परिणाम है जब उत्पादन की अपेक्षा मुद्रा परिव्यय अधिक तेजी से बढ़ते तो कीमते बढ़ने लगेगी दूसरी ओर यदि. Y. की अपेक्षा O. अधिक तेजी से बढ़े तो आशा करनी चाहिए कि p गिरेगा
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