नियोजित अर्थव्यवस्था में मुद्रा का कार्यभार (Role of Money in a planned economy
एक नियोजित अर्थव्यवस्था वह होती है जहां पूर्व निश्चित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए एक योजना के अनुसार देश में उत्पादन साधनों का प्रयोग किया जाता है अर्थव्यवस्था के ये सभी निर्णय क्या कैसे और किसके लिए उत्पादन करना है एक केंद्रीय नियोजन प्राधिकरण द्वारा लिये जाते हैं
इस प्रकार की अर्थव्यवस्था के दो रूप होते हैं एक समाजवादी अर्थव्यवस्था तथा दूसरी मिश्रित अर्थव्यवस्था इनमें से समाजवादी अर्थव्यवस्था में मुद्रा के महत्व के बारे में ऊपर वर्णन किया गया है इसलिए एक मिश्रित नियोजित अर्थव्यवस्था में मुद्रा के कार्य भाग का विवेचन निम्नलिखित है
(१)। वित्तप्रबन्धन Financial-----नियोजित अर्थव्यवस्था में मुद्रा बहुत महत्वपूर्ण कार्य करती है वित्तीय और भौतिक आयोजन को अपनाने के लिए मुद्रा का प्रर्याप्त मात्रा में पाया जाना बहुत आवश्यक है मुद्रा के बिना योजना का वित्त प्रबंधन करो की वसुली ऋण व्यवस्था विदेशी सहायता आदि मुद्रा द्वार ही होते हैं
(२) विकास योजनाओं का निमार्ण ( Construction of development projects)--- मुद्रा द्वारा सरकार विकास योजनाओं का निमार्ण करती है और विकास के लिए आवश्यक सुविधाएं प्रदान करती है इसके लिए सरकार स्वय निवेश करती है उत्पादन के लिए साधनों का सीधे प्रबन्ध करती है तथा आर्थिक एवं सामाजिक उपरिसुविधाए प्रदान करती है
(३)--- वस्तुओं और सेवाओं का क्रय विक्रय (sale purchase of goods and services)---- नियोजित ढंग से वस्तुओं और सेवाओं का आंतरिक तथा विदेशी बाजारों में क्रय एवं विक्रय मुद्रा द्वारा ही सम्भव होता है
(४) सार्वजनिक क्षेत्र का प्रसार और लेखांकन (Expansion and accounting of public sector)----- मुद्रा द्वारा सरकार योजनाबद्ध तरीके से देश के विभिन्न क्षेत्रों विशेषकर पिछले हुए में सार्वजनिक उद्यम स्थापित करती है और उनका प्रसार करती मुद्रा से ही इनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की लागत तथा कीमतों का हिसाब लगाती है
(५) निजी क्षेत्र को सहायता----- प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप में सरकार मुद्रा द्वारा निजी उठना को सुविधाएं प्रदान करते हैं योजना की आवश्यकता के अनुसार निवेश तथा उत्पादन की प्रेरणा देने के लिए सामाजिक और आर्थिक ऊपरी सुविधाएं प्रदान करने के अतिरिक्त निजी क्षेत्र को सस्ते ऋण आरती सहायता तथा कर छूटे दी जाती हैं
(६) विनिमय अर्थव्यवस्था का विकास Development of exchange economy) ---- जो अल्पविकसित देश विकास के प्रथम चरण में होते हैं उनमें अधिकतर वस्तु विनिमय प्रणाली पाई जाती है यह विकास में बाधा उत्पन्न करती है इसलिए सरकार अमौदिक क्षेत्र में बचत बैंक खोलकर निर्माण कार्य प्रारम्भ करके और उघोग स्थापित करके मुद्रा का चलन बढ़ाती है जिससे विनिमय अर्थव्यवस्था का विकास होता है ऐसा मुद्रा के लेन-देन दारा सम्भव होता है
अन्य कार्य (other functions)---एक और तो मुद्रा आर्थिक विकास में सहायता करती है दूसरी ओर यह अनेक बाधाये भी उत्पन्न करती है इसका अधिक प्रसार स्फीति विदेशी विनिमय तथा भुगतान शेष की समस्याएं लाता है इसको नियंत्रित करने के लिए सरकार मुद्रा के अत्यधिक प्रसार को रोकती है
इस प्रकार की अर्थव्यवस्था के दो रूप होते हैं एक समाजवादी अर्थव्यवस्था तथा दूसरी मिश्रित अर्थव्यवस्था इनमें से समाजवादी अर्थव्यवस्था में मुद्रा के महत्व के बारे में ऊपर वर्णन किया गया है इसलिए एक मिश्रित नियोजित अर्थव्यवस्था में मुद्रा के कार्य भाग का विवेचन निम्नलिखित है
(१)। वित्तप्रबन्धन Financial-----नियोजित अर्थव्यवस्था में मुद्रा बहुत महत्वपूर्ण कार्य करती है वित्तीय और भौतिक आयोजन को अपनाने के लिए मुद्रा का प्रर्याप्त मात्रा में पाया जाना बहुत आवश्यक है मुद्रा के बिना योजना का वित्त प्रबंधन करो की वसुली ऋण व्यवस्था विदेशी सहायता आदि मुद्रा द्वार ही होते हैं
(२) विकास योजनाओं का निमार्ण ( Construction of development projects)--- मुद्रा द्वारा सरकार विकास योजनाओं का निमार्ण करती है और विकास के लिए आवश्यक सुविधाएं प्रदान करती है इसके लिए सरकार स्वय निवेश करती है उत्पादन के लिए साधनों का सीधे प्रबन्ध करती है तथा आर्थिक एवं सामाजिक उपरिसुविधाए प्रदान करती है
(३)--- वस्तुओं और सेवाओं का क्रय विक्रय (sale purchase of goods and services)---- नियोजित ढंग से वस्तुओं और सेवाओं का आंतरिक तथा विदेशी बाजारों में क्रय एवं विक्रय मुद्रा द्वारा ही सम्भव होता है
(४) सार्वजनिक क्षेत्र का प्रसार और लेखांकन (Expansion and accounting of public sector)----- मुद्रा द्वारा सरकार योजनाबद्ध तरीके से देश के विभिन्न क्षेत्रों विशेषकर पिछले हुए में सार्वजनिक उद्यम स्थापित करती है और उनका प्रसार करती मुद्रा से ही इनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की लागत तथा कीमतों का हिसाब लगाती है
(५) निजी क्षेत्र को सहायता----- प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप में सरकार मुद्रा द्वारा निजी उठना को सुविधाएं प्रदान करते हैं योजना की आवश्यकता के अनुसार निवेश तथा उत्पादन की प्रेरणा देने के लिए सामाजिक और आर्थिक ऊपरी सुविधाएं प्रदान करने के अतिरिक्त निजी क्षेत्र को सस्ते ऋण आरती सहायता तथा कर छूटे दी जाती हैं
(६) विनिमय अर्थव्यवस्था का विकास Development of exchange economy) ---- जो अल्पविकसित देश विकास के प्रथम चरण में होते हैं उनमें अधिकतर वस्तु विनिमय प्रणाली पाई जाती है यह विकास में बाधा उत्पन्न करती है इसलिए सरकार अमौदिक क्षेत्र में बचत बैंक खोलकर निर्माण कार्य प्रारम्भ करके और उघोग स्थापित करके मुद्रा का चलन बढ़ाती है जिससे विनिमय अर्थव्यवस्था का विकास होता है ऐसा मुद्रा के लेन-देन दारा सम्भव होता है
अन्य कार्य (other functions)---एक और तो मुद्रा आर्थिक विकास में सहायता करती है दूसरी ओर यह अनेक बाधाये भी उत्पन्न करती है इसका अधिक प्रसार स्फीति विदेशी विनिमय तथा भुगतान शेष की समस्याएं लाता है इसको नियंत्रित करने के लिए सरकार मुद्रा के अत्यधिक प्रसार को रोकती है
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