समाजवादी अर्थव्यवस्था में मुद्रा (money in a socialist economy)

(समाजवादी अर्थव्यवस्था में उत्पादन के साधनों का वितरण) -----समाजवादी अर्थव्यवस्था में उत्पादन के साधनों और वितरण पर केंद्रीय प्राधिकरण का  स्वामित्व और नियंत्रण होता है सभी खानों फार्म कारखाना वित्तीय संस्थाओं की वितरक एजेंसी जैसे आंतरिक और बाह्य व्यापार दुकानें भंडार आदि परिवहन और संचार के साधनों आदि का स्वामित्व नियंत्रण तथा नियमन सरकारी विभागों और राज्य नियमों के हाथ में होता है इसीलिए समाजवादी अर्थव्यवस्था में कीमत निर्धारण की प्रक्रिया स्वतत्रता से नहीं चलती अपितु केंद्रीय योजना प्राधिकरण के नियंत्रण तथा नियमन के अंतर्गत कार्य करती हैं

(१)---- समाजवादी अर्थव्यवस्था में मुद्रा और कीमत कीमत तत्र Money and price mechanism in a socialist economy)---- समाजवादी अर्थव्यवस्था में कीमत तंत्र की कोई प्रसंगिकता नहीं है क्योंकि इस स्वतंत्र बाजार अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषता समझा जाता है समाजवादी अर्थव्यवस्था में कीमत तंत्र के विविध तत्व अर्थात लागते लाभ और कीमतें योजनाबद्ध होते हैं और योजना के उद्देश्य तथा लक्ष्यों के अनुसार योजना प्राधिकरण उनका हिसाब लगाता है
इस प्रकार समाजवादी अर्थव्यवस्था में संसाधनों का तर्कसंगत और आकलन अथवा बंटवारा संभव नहीं है यह हम देखते हैं समाजवादी अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याओं को कैसे और किसके लिए उत्पादन की समस्या को कैसे हल करता है समाजवादी समाज में केंद्रीय योजना प्राधिकरण ही बाजार के कार्य करता है क्योंकि उत्पादन के सभी भौतिक साधनों पर सरकार का स्वामित्व नियंत्रण और निर्देश होता है इसीलिए इस बात का निर्णय कि किस चीज का उत्पादन किया जाए केंद्रीय योजना के ढांचे के भीतर ही किया जाता है उत्पादन की जाने वाली वस्तुओ की प्रकृति और उनकी मात्राओ के संबंध में निर्णय इस बात पर निर्भर करते हैं कि केंद्रीय योजना प्राधिकरण नहीं क्या उद्देश्य लक्ष्य और प्राथमिकता निर्धारित की है विविध वस्तुओं की कीमतें भी यही प्राधिकरण निर्धारित करता है कीमत सामान्य व्यक्ति के आधिमानो को प्रकट करती है उपभोक्ता का चुनाव उन्ही वस्तुओं तक सीमित रहता है जिनका उत्पादन और विक्रय करने का निर्णय योजनाकार करते हैं
अब समाजवादी अर्थव्यवस्था का अगला टॉपिक है कैसे उत्पादन करना है--इस समस्या का निर्णय भी केंद्रीय योजना प्राधिकरण करता है यह उत्पादन के साधनों को मिलने और प्लांट के उत्पादन के पैमाने को चुनने के संबंध में उद्योगों का उत्पादन निर्धारित करने के संबंध मैं संसाधनों के बंटवारे के संबंध मैं और लेखांकन में कीमतों के प्रचलित प्रयोग के संबंध में नियम निर्धारित करता है एक तो यह प्रत्येक प्रबंध उत्पादक वस्तुओं और सेवाओं को ऐसे ढंग से दिए हुए उत्पादन की औसत लागत न्यूनतम हो दूसरे यह कि प्रत्येक प्रबंधक  उत्पादन का वह पैमाने चुनें जिससे सीमांत लागत कीमत के बराबर हो जाएं क्योंकि अर्थव्यवस्था में सभी संसाधनों का स्वामित्व और नियमन सरकार का होता है इसीलिए कच्चा माल मशीनें और अन्य  लागत भी उन कीमतों पर बेचे जाते हैं जो उनके उत्पादन की सीमांत लागत के बराबर हो यदि किसी वस्तु की कीमत उसकी औसत लागत से अधिक होगी तो तो प्लांट प्रबंधक लाभ अर्जित करेंगे और यदि वस्तु की कीमत उसके उत्पादन की औसत लागत से कम होगी तो उन्हें हानि उठानी होगी
(२)---पूंजी संचय(Capital accumulation)--पूंजी संचय के लिए आवश्यक तरल और गतिशीलता मुद्रा ही प्रदान करती हैं समाजवादी अर्थव्यवस्था में निवेश निधियों के स्रोत लगभग वही होते हैं जो पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के अंतर्गत पण्यावर्त   सार्वजनिक उद्यमो के योजनबद्ध  लाभ परिशोधन कोटे और जिन्स में अथवा नीची वसूली कीमतों के रूप में कृषि उत्पादन पर कराधान यह सब मुद्रा में व्यक्त किए जाते हैं और पूंजी संचय में सहायक  होते हैं
(३) विदेशी व्यापार ( Foreign trade )--समाजवादी अर्थव्यवस्थाए वस्तु सौदे के आधार पर विपक्षी संबंध स्थापित करके विदेशी व्यापार नहीं करती बल्कि क्योंकि वह विश्व बैंक तथा आईएमएफ की सदस्य है इसीलिए वे अपने अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधों मैं मुद्रा के रूप में ही भुगतान करती हैं
(४)-- मुद्रा का चक्रीय प्रवाह (circular flow of money)--उत्पादन करने वाली इकाइयों को निवेश के लिए निधियां राज्य बजट से या तो अनुदान के रूप में प्राप्त होती हैं या फिर राज्य बैंकों  से कर्ज के रूप में मिलती हैं ताकि वे आवश्यक लागतो को खरीद सके और वर्करों को भुगतान कर सकें वर्कर अपनी मजदूरी उपभोक्ता वस्तुओं पर व्यय करते हैं उत्पादन करने वाली इकाइयों को विक्रय से आमदनी होती हैं जो आगे कर भुगतान लाभ अर्जनो और राज्य  बैंक के कर्जा चुकाने में लग जाती हैं यह निधियां दोबारा राज्य बजट और राज्य बैंक से उत्पादन इकाइयों में प्रवाहित होती हैं इस प्रकार समाजवादी अर्थव्यवस्था मैं मुद्रा वस्तुओं तथा सेवाओं के चकरी प्रभाव में सहायक होते हैं
निष्कर्ष के रूप में यह कहा जा सकता है कि शायद पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की तुलना में समाजवादी अर्थव्यवस्था के अंतर्गत राज्य के नियमन और नियंत्रण के कारण मुद्रा का महत्व रखती हैं फिर भी समाजवादी अर्थव्यवस्था में भी मुद्रा कीमतों मजदूरी आयऔर लाभों के निर्धारण में सहायक होती है समाजवादी अर्थव्यवस्था में मुद्रा उसके संसाधनों का समुचित बटवारा करने में पूंजी संचय और अर्थव्यवस्था के भीतर तथा बाहर संसाधनों का प्रवाह निर्धारित करने में मार्गदर्शन करती है

Comments

Post a Comment