मुद्रा के परिणाम सिद्धांत में मार्शलीय व राबर्टसन समीकरण

मार्शल ने अपना सिद्धांत समीकरण के रूप में प्रस्तुत नहीं किया था उनके अनुयायियों ने उस सिद्धांत की बीजगणित ई व्याख्या की फेडमन ने मार्शल के मत का सपष्टि करण इस प्रकार किया है कि प्रथम सनी कटी करण के रूप में हम यह मान लें कि कोई व्यक्ति जो राशि अपने पास रखना चाहता है उस राशि का उस व्यक्ति की आय से कुछ संबंध हैं क्योंकि वही उस व्यक्ति के क्रय तथा विक्रय के परिणाम को निर्धारित करती हैं क्योंकि हम समुदाय के सभी मुद्रा धारकों के नकदी शेषो का जोड़ करते हैं और उस कुल योग को उनकी कुल आय के प्रभाव के रूप मैं व्यक्त करते हैं इस प्रकार हम समीकरण लिख सकते हैं की
                            M=K P Y

जहा M बहिर्जात रुप से निर्धारित मुद्रा की पूर्ति को व्यक्त करता है K वास्तविक मौद्रिक आय PY का वहां प्रभाव है जिसे लोग नकदी तथा मांग जमा के रूप में रखना चाहते हैं p कीमत स्तर है और Y समुदाय की कुल वास्तविक आय है  इस प्रकार कीमत स्तर p= M/Ky  अथवा मुद्रा का मूल्य अर्थात कीमत स्तर का व्यत्कम है


राबर्ट्सन का समीकरण ( Robertson s Equation )---- मुद्रा का मूल्य अथवा उसके व्यत्कम कीमत स्तर को निर्धारित करने के लिए रासर्टसन ने पीगू के समीकरण से मिलता जुलता समीकरण बनाया । दोनों के समीकरण में केवल इतना अन्तर है कि पीगू के कुल वास्तविक संसाधनों. R के स्थान पर कुल सौदों का परिणाम T रखा राबर्ट्सन का समीकरण
                        P=. M/KT
जहा Pकीमत स्तर  है Mमुद्रा की कुल मात्राK वस्तुऔ तथा सेवाओं की राशि T का अनुपात है जिसे लोग नकदी शेष के रूप में अपने पास रखना चाहते हैं और T समुदाय द्वारा एक वर्ष में खरीदी गई वस्तुओं तथा सेवाओं का कुल परिमाण है
यदि हम  Pको कीमत स्तर की बजाय मुद्रा का मूल्य मान लें जैसा कि पीगू के समीकरण में है तो राबर्टसन का समीकरण ठीक पीगू के समीकरण. P= K T /M का रूप धारण कर लेता है 

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