नकदी शेष सिद्धांत की आलोचना criticisms of the cash balance theory
मुद्रा के परिणाम सिद्धांत के नकदी शेष सिद्धांत की निम्नलिखित आधारों पर आलोचना की गई है
(१)---स्वयं सिद्ध --- लेनदेन विषयक समीकरण की भांति सभी रोकड़ से समीकरण भी स्वयं सिद्ध उक्तियां है कोई भी कैंब्रिज समीकरण ले लीजिए मार्शल का P=MKY पीगू का P=M/K AND ROBERTSON PM/KT AND CHANGE P=N/K प्रत्येक मुद्रा की मात्रा तथा कीमत स्तर के बीच समानुपाती संबंध स्थापित करता है
२--कीमत स्तर मुदा की क्रय शक्ति को नहीं मानता ----पीगू के नकदी शेष समीकरण की तथा अपने ही वास्तविक शेष समीकरण की आलोचना की है उसने अपने लक्ष्य मैं गेहूं का कीमत स्तर मापा है जैसे उसने स्वयं उपभोग इकाई मैं मापा है उसने गम्भीर दोष है दोनों ही समीकरणों में कीमत स्तर मुद्रा की क्रय शक्ति को नहीं मापता उपभोग इकाइयों में कीमत स्तर को मापने का मतलब है कि नदी का उपयोग केवल चालू उपभोग के खर्च के लिए ही किया जाता है परंतु वास्तव में वे विशाल विविधतापूर्ण व्यवसायिक तथा वैयक्तिक उद्देश्यों के लिए रखे जाते हैं
३---कुल जमा को अधिक महत्व --कुल जमा विचारण पर लागू होता है जो मूल्य का केवल आय जमा से संबंध रखते हैं और kको जो महत्व दिया गया है वह उस स्थिति में भ्रामक बन जाता है जब उसे आय जमा से परे जाया जाता है
4--बचत निवेश के प्रभाव की उपेक्षा --बचत निवेश असमानता के कारण कीमत स्तर में होने वाले परिवर्तनों का विश्लेषण करने में असमर्थ रहता है
५--मुद्रा मात्रा और कीमत स्तर सम्बन्ध -नकदी शेष सिद्धांत की एक कमजोरी यह भी है कि वह अन्य ऐसे प्रभावों की उपेक्षा करता है जैसे ब्याज की दर जो की कीमत सर पर एक निर्णायक एवं महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं जैसा कि केंन्ज ने अपने सामान्य सिद्धांत में लक्ष्य किया है मुद्रा की मात्रा और कीमत स्तर में प्रत्यक्ष संबंध नहीं है कि बल्कि ब्याज की दर निवेश उत्पादन रोजगार और आय के मार्ग से अप्रत्यक्ष संबंध है इसी बात की उपेक्षा कैंब्रिज समीकरण करता है इसीलिए मुद्रा सिद्धांत को मूल एवं उत्पादन के सिद्धांत से समन्वित करने में असमर्थ रहा है
६---मुद्रा की मांग ब्याज निरपेक्ष नहीं--मुद्रा की मात्रा और कीमत स्तर मैं कारण के रूप में ब्याज की दर की उपेक्षा का परिणाम यह हुआ कि मुद्रा की मांग को ब्याज निरपेक्ष मान लिया गया इसका अर्थ है कि मुद्रा केवल विनिमय के माध्यम काम करती है और इसमें अपने आप में मूल्य के भंडार जैसी कोई उपयोगिता नहीं है
(१)---स्वयं सिद्ध --- लेनदेन विषयक समीकरण की भांति सभी रोकड़ से समीकरण भी स्वयं सिद्ध उक्तियां है कोई भी कैंब्रिज समीकरण ले लीजिए मार्शल का P=MKY पीगू का P=M/K AND ROBERTSON PM/KT AND CHANGE P=N/K प्रत्येक मुद्रा की मात्रा तथा कीमत स्तर के बीच समानुपाती संबंध स्थापित करता है
२--कीमत स्तर मुदा की क्रय शक्ति को नहीं मानता ----पीगू के नकदी शेष समीकरण की तथा अपने ही वास्तविक शेष समीकरण की आलोचना की है उसने अपने लक्ष्य मैं गेहूं का कीमत स्तर मापा है जैसे उसने स्वयं उपभोग इकाई मैं मापा है उसने गम्भीर दोष है दोनों ही समीकरणों में कीमत स्तर मुद्रा की क्रय शक्ति को नहीं मापता उपभोग इकाइयों में कीमत स्तर को मापने का मतलब है कि नदी का उपयोग केवल चालू उपभोग के खर्च के लिए ही किया जाता है परंतु वास्तव में वे विशाल विविधतापूर्ण व्यवसायिक तथा वैयक्तिक उद्देश्यों के लिए रखे जाते हैं
३---कुल जमा को अधिक महत्व --कुल जमा विचारण पर लागू होता है जो मूल्य का केवल आय जमा से संबंध रखते हैं और kको जो महत्व दिया गया है वह उस स्थिति में भ्रामक बन जाता है जब उसे आय जमा से परे जाया जाता है
4--बचत निवेश के प्रभाव की उपेक्षा --बचत निवेश असमानता के कारण कीमत स्तर में होने वाले परिवर्तनों का विश्लेषण करने में असमर्थ रहता है
५--मुद्रा मात्रा और कीमत स्तर सम्बन्ध -नकदी शेष सिद्धांत की एक कमजोरी यह भी है कि वह अन्य ऐसे प्रभावों की उपेक्षा करता है जैसे ब्याज की दर जो की कीमत सर पर एक निर्णायक एवं महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं जैसा कि केंन्ज ने अपने सामान्य सिद्धांत में लक्ष्य किया है मुद्रा की मात्रा और कीमत स्तर में प्रत्यक्ष संबंध नहीं है कि बल्कि ब्याज की दर निवेश उत्पादन रोजगार और आय के मार्ग से अप्रत्यक्ष संबंध है इसी बात की उपेक्षा कैंब्रिज समीकरण करता है इसीलिए मुद्रा सिद्धांत को मूल एवं उत्पादन के सिद्धांत से समन्वित करने में असमर्थ रहा है
६---मुद्रा की मांग ब्याज निरपेक्ष नहीं--मुद्रा की मात्रा और कीमत स्तर मैं कारण के रूप में ब्याज की दर की उपेक्षा का परिणाम यह हुआ कि मुद्रा की मांग को ब्याज निरपेक्ष मान लिया गया इसका अर्थ है कि मुद्रा केवल विनिमय के माध्यम काम करती है और इसमें अपने आप में मूल्य के भंडार जैसी कोई उपयोगिता नहीं है
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