नकदी शेष सिद्धांत बनाम लेन देन सिद्धांत cash balance aaproach versus transactions approach
मुद्रा के परिणाम सिद्धांत के विषय में फिशर के लेन-देन दृष्टिकोण की अपेक्षा केम्बिजीय समीकरण नकदी शेष दृष्टिकोण कई दृष्टियों से श्रेष्ठ है हम इन विचारों पर विचार करेंगे
- नकदी शेष सिद्धांत मुद्रा की पूर्ति जो कि किसी निश्चित समय पर दी हुई होती है पर बल देने की बजाय नकदी शेष धारण करने के महत्व पर बल देता है इस प्रकार इसका परिणाम यह हुआ कि केन्ज ने अपने तरलता अधिमान सिद्धांत तथा ब्याज की दर के सिद्धांत का प्रतिपादन किया और मुद्रा सिद्धांत का मूल्य एवं उत्पादन सिद्धांत के साथ समन्वय किया
- मुद्रा के परिणाम सिद्धांत के लेन-देन सिद्धांत विवरण की अपेक्षा नकदी शेष सिद्धांत विवरण श्रेष्ठ है कि इसमें शेष सिद्धांत मुद्रा की मांग तथा पूर्ति की शब्दावली में मुद्रा का मूल्य निर्धारित करता है परन्तु लेने देन सिद्धांत में मुद्रा के मूल्य का निर्धारण कृत्रिम रूप से मूल्य के सिद्धांत से अलग कर दिया गया है
- लेनदेन सिद्धांत की अपेक्षा नकदी शेष सिद्धांत इसलिए श्रेष्ठ है कि इसमें मुद्रा के संचलन वेग की संकल्पनाओं को एकदम रद्द कर दिया गया है जिससे इसके पीछे लोगों के निहित उद्देश्य तथा निर्णय अस्पष्ट हो जाते हैं
- फिर परिणाम सिद्धांत के लेन-देन रूपांतरण की अपेक्षा नकदी शेष रूपांतरण अधिक यथाथिक है क्योंकि यह अल्पावधि से सम्बन्ध रखता है जबकि लेने देन रूपांतरण दीर्घाविधि से सम्बन्ध रखता है
- नकदी शेष समीकरण में अन्तिम वस्तुओं में सम्बन्धित लेन देन ही शामिल हैं जहां. p अन्तिम वस्तुओं के स्तर को निर्दिष्ट करता है दूसरी ओर लेन देन समीकरण में P के अन्तर्गत सभी प्रकार के लेन-देन शामिल हैं
- नकदी शेष समीकरण में आय रखने से नकदी शेष समीकरण यथार्थिक बन गया है जिससे मुद्रा सिद्धांत में नए निरूपण संभव हो सके हैं कीमत स्तर में परिवर्तन के माध्यम से अथवा वास्तविक उत्पादन में परिवर्तन के माध्यम से अथवा एक साथ दोनों के माध्यम से मुद्रा आय के स्तर में परिवर्तन हो सकते हैं
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