नकदी शेष केम्बिज सिद्धांत (The cambridge cash balance approach)
मुद्रा तो अनेक आर्थिक वस्तुओं में से केवल एक ही है प्रमुख रूप से इसके मूल्य का निर्धारण ठीक वही दो साधन करते हैं जो कि अन्य वस्तुओं का मूल्य निर्धारित करते हैं नाम तो इसकी माग की स्थितियों और इसकी की उपलब्ध मात्रा
मुद्रा की पूर्ति को किसी निश्चित समय पर बैंकिंग प्रणाली बहिर्जाय रूप से निर्धारित करती है इसीलिए नकदी से सिद्धांत में संचालन वेग की संकल्पना रद्द कर दी गई है क्योंकि इससे पीछे लोगों के निहित उद्देश्य तथा निर्णय अस्पष्ट हो जाते हैं दूसरी ओर मुद्रा की मांग विषयक संकल्पना मुद्रा का मूल्य निर्धारित करने में प्रमुख कार्य करती है मुद्रा की मांग का मतलब है सौदों के लिए तथा एहतियाती उद्देश्यों से नकदी शेष रखने की मांग का मतलब है मुद्रा की मांग के संबंध में कहा है कि इस संधारण को निश्चिता प्रदान करने के लिए मान लीजिए कि किसी देश के निवासी इस बात को उचित मानते हैं कि वे औसतन अपनी वार्षिक आय का दसवां भाग तथा इसके साथ अपनी संपत्ति का 50 वां भाग तैयार क्रय सकती के लिए बचा कर रखें तो उस देश की करेंसी का कुल मूल्य इन राशियों के कुल योग के बराबर होगा
इस प्रकार नकदी शेष सिद्धांत मुद्रा की मांग को विनिमय का माध्यम नहीं मानता अपितु मूल्य का भण्डार मानता है इस अन्तर को गतिशील मुद्रा तथा अगतिशील मुद्रा कहकर व्यक्त किया है केम्बिजीय समीकरण बताते हैं कि किसी निश्चित समय पर मुद्रा की पूर्ति दी हुई होने पर मुद्रा के मूल्य को नकदी शेष की मांग निर्धारित करती है जब मुदा की मांग बढ़ेगी तो लोग वस्तुओं तथा सेवाओं पर अपने खर्च घटा देगे ताकि उनके पास अधिक मात्रा में तैयार नकदी रहे वस्तुओं तथा सेवाओं की मांग घटने से कीमत स्तर गिर जाएगा जिससे मुद्रा का मूल्य कम हो जाएगा
मुद्रा की पूर्ति को किसी निश्चित समय पर बैंकिंग प्रणाली बहिर्जाय रूप से निर्धारित करती है इसीलिए नकदी से सिद्धांत में संचालन वेग की संकल्पना रद्द कर दी गई है क्योंकि इससे पीछे लोगों के निहित उद्देश्य तथा निर्णय अस्पष्ट हो जाते हैं दूसरी ओर मुद्रा की मांग विषयक संकल्पना मुद्रा का मूल्य निर्धारित करने में प्रमुख कार्य करती है मुद्रा की मांग का मतलब है सौदों के लिए तथा एहतियाती उद्देश्यों से नकदी शेष रखने की मांग का मतलब है मुद्रा की मांग के संबंध में कहा है कि इस संधारण को निश्चिता प्रदान करने के लिए मान लीजिए कि किसी देश के निवासी इस बात को उचित मानते हैं कि वे औसतन अपनी वार्षिक आय का दसवां भाग तथा इसके साथ अपनी संपत्ति का 50 वां भाग तैयार क्रय सकती के लिए बचा कर रखें तो उस देश की करेंसी का कुल मूल्य इन राशियों के कुल योग के बराबर होगा
इस प्रकार नकदी शेष सिद्धांत मुद्रा की मांग को विनिमय का माध्यम नहीं मानता अपितु मूल्य का भण्डार मानता है इस अन्तर को गतिशील मुद्रा तथा अगतिशील मुद्रा कहकर व्यक्त किया है केम्बिजीय समीकरण बताते हैं कि किसी निश्चित समय पर मुद्रा की पूर्ति दी हुई होने पर मुद्रा के मूल्य को नकदी शेष की मांग निर्धारित करती है जब मुदा की मांग बढ़ेगी तो लोग वस्तुओं तथा सेवाओं पर अपने खर्च घटा देगे ताकि उनके पास अधिक मात्रा में तैयार नकदी रहे वस्तुओं तथा सेवाओं की मांग घटने से कीमत स्तर गिर जाएगा जिससे मुद्रा का मूल्य कम हो जाएगा
Gud
ReplyDelete