पेटिनकिन द्वारा किया गया मुद्रा तथा मूल्य सिद्धांत का एकीकरण वास्तविक शेष प्रयोग

वस्तु बाजार और मुद्रा बाजार का द्वि विभाजन कर दिया है इसके बाद उसने वास्तविक शेष प्रभाव के माध्यम से दोनों बाजारों का समाधान किया है
समरूपता सिद्धांत कहता है कि वस्तुओं की मांग और पूर्ति केवल सापेक्ष कीमतों से प्रभावित होती है इसका अर्थ यह है कि यदि मुद्रा कीमतें दुगुनी कर दी जाए तो वस्तुओं की मांग और पूर्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा वस्तुओं के माग तथा पूर्ति फल केवल कीमतों में शून्य कोटि के समरूप होते हैं इस प्रकार यह समरूपता सिद्धांत कहता है कि कीमत स्तर न हो तो वस्तु एवं मुद्रा एवं कीमतों का कोई निश्चित प्रस्तुत करने में असमर्थ हैं

इसमें बहुत अधिक सम्बन्ध एक और मान्यता है कि वस्तु एवं मुद्रा बाजारो का  द्वि विभाजन किया जाता है द्वि विभाजन का अर्थ है कि सापेक्ष कीमत स्तर को वस्तुओं की मांग तथा पूर्ति निर्धारित करती है समरूपता सिद्धांत की भांति इस मान्यता का भी यह अर्थ निकलता है कि अर्थव्यवस्था के मौद्रिक कीमतों क्षेत्र पर कीमत स्तर का बिल्कुल कोई प्रभाव नहीं पड़ता है

अर्थव्यवस्था के मौद्रिक क्षेत्र पर कीमत स्तर का बिल्कुल कोई प्रभाव नहीं पड़ता और आगे मौद्रिक कीमतों के स्तर का अर्व्यथवस्था के वास्तविक क्षेत्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है मुद्रा बाजार तथा वस्तु बाजार का एकीकरण करता है जो कि न केवल सापेक्ष कीमतों पर अपितु वास्तविक शेषो पर निर्भर करते हैं वास्तविक शेषो का मतलब है कि नकदी धारणाओं के स्टाक की वास्तविक क्रय शक्ति होती है


जब कीमत स्तर बदलता है तो वह लोगों के नकदी धारणाओं की क्रय शक्ति को प्रभावित करता है जो कि आगे वस्तुओं की मांग एवं पूर्ति को प्रभावित करती है यही वास्तविक शेष प्रभाव है पेटिनकिन इस प्रभाव के माध्यम से समरूपता सिद्धांत के अस्तित्व तथा द्वि विभाजन को नकारता है इसके लिए पेटिनकिन किसी समुदाय द्वारा धारित वास्तविक शेष़ो के स्टाक को उसकी वस्तुओं के लिए मांग पर प्रभाव के रूप  प्रस्तुत करता है इस प्रकार किसी वस्तु के लिए मांग वास्तविक शेष तथा सापेक्ष कीमतों पर निर्भर करती है अब यदि कीमत स्तर बढ़ेगा तो इससे लोगों का वास्तविक शेष कम हो जाएगा और वे पहले से कम खर्च करेंगे इसका मतलब कि वस्तुऔ की मांग कम हो जाएगी और परिणामत कीमत स्तर गिर जाएगा इसके विपरीत कीमत स्तर गिरने से वास्तविक शेष बढ़ जाएगी 

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