मुद्रा के आकस्मिक कार्य


  • मुद्रा कुछ आकस्मिक अथवा प्रासगिक कार्य भी करती हैं
  • जिन तरल है परिसम्पतियों के रूप में सम्पत्ति रखी जाती है उनमें से मुद्रा सबसे अधिक तरल है व्यक्ति तथा फर्म सम्पत्ति को अनंत रूपों में रख सकते 
  • उदाहरणार्थ वे चाहे तो संपत्ति को करेंसी के रूप में रखें चाहे मांग जमा सावधि जमा बचत ब्रांडो ट्रेजरी बिलों अल्पकालीन सरकारी प्रतिभूतियों दीर्घकालीन सरकारी प्रतिभूतियों डिवेंचर आधिमान शेयरो साधारण शेयरो उपभोक्ता वस्तुओं के स्टाको तथा उत्पादकता उपकरणों मैं से  किसी भी रूप में रखें यह सभी संपत्ति के तरल रूप हैं जिन्हें मुद्रा में और मुद्रा को जिनमें बदला जा सकता है
  • साख प्रणाली का आधार मुद्रा साख प्रणाली का आधार है व्यापार के लेन-देन या तो नकद होते हैं या  साख पर साख से मुद्रा के प्रयोग में मितव्ययिता होती है परन्तु मुद्रा सम्पूर्ण साख का समर्थन करती है कोई भी कमशियल बैंक पर्याप्त मुद्रा को रिजर्व में रखे बिना साख का निमार्ण नहीं कर सकता व्यापारिक लोग साख के जितने साधन अपनाते हैं उन सब के पीछे नकदी की गारंटी होती है जिसे व्यापारिक के बैंकरों का समर्थन प्राप्त होता है
  • सीमांत उपयोगिताओ तथा उत्पादकताओ की समकार   मुद्रा के लिए सीमांत उपयोगिताओ के समकार का काम करती है उपभोक्ताओं का प्रमुख उद्देश्य यह होता है कि वह जिन वस्तुओं को खरीदना चाहते हैं उन पर दी हुई मुद्रा खर्च करके अपनी संतुष्टि को अधिकतम बनाए क्योंकि वस्तुओं की कीमतें उनकी सीमांत उपयोगिताओ को प्रकट करती है और कीमते मुद्रा में व्यक्त की जाती है मुद्रा विविध वस्तुओ की सीमांत उपयोगिताओ को समान बनाने में सहायक होती है यह समानता तब  स्थापित होती है जब विविध वस्तुओ की सीमांत उपयोगिताओ तथा कीमतों के अनुपात समान होते हैं इसी प्रकार मुद्रा विविध साधनों की सीमांत उपयोगिताओ को समान बनाने में सहायक होती है
  • उत्पादकता का प्रमुख उद्देश्य अधिकतम लाभ प्राप्त करना होता है इसके लिए वह प्रत्येक साधन की सीमांत उत्पादकता को उसकी कीमत के बराबर लाता है प्रत्येक साधन‌ की कीमत उस मुद्रा के अतिरिक्त कुछ नही है जो‌ उस साधन को अपने काम के बदले मिलती है
  • राष्टीय आय को मापना और वितरण करना वस्तु विनिमय प्रणाली के अन्तर्गत राष्ट्रीय आय को मापना और वितरण करना संभव नहीं था मुद्रा ने ये दोनों काम संभव बना दिये है मुद्रा राष्ट्रीय आय को केवल मापने में ही नहीं अपितु उसके वितरण में भी सहायक होती है यह तब होता है जब देश में उत्पादिता विविध वस्तुओ तथा सेवाओं को मुद्रा के रूप में आका जाता है और साधनों का भुगतान मजदूरी ब्याज लाभ और किराये का भुगतान मुद्रा के रूप में किया जाता है मुद्रा इन कार्यो के आधार पर भुगतान करने वाले की ऋण शोधन क्षमता की गारंटी प्रदान करती है और अपने धारक को यह छूट देती है कि वह चाहे जैसे मुद्रा का प्रयोग करें 

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