उपभोग प्रवृति. (propensity to consume )

उपभोग प्रवृत्ति उपभोग तथा आय के बीच सम्बन्ध को दर्शाता है माना जब आय बढ़ती है तो उपभोग की मात्रा भी बढ़ती जाती है परन्तु आय में हुई वृद्धि की अपेक्षा कम मात्रा में उपभोग फलन का यह व्यवहार इसे और भी स्पष्ट करता है
  जब आय बढ़ती है तो बचत मैं वृद्धि होती है अल्पविकसित देशों में आय उपभोग तथा बचत के ये सम्बन्ध नहीं टिक पाते हैं लोग बहुत गरीब होते हैं और जब उनकी आय बढ़ती है तो वे उपभोक्ता वस्तुओं पर अधिक व्यय करते हैं क्योंकि उनकी प्रवृति यह रहती है कि अपनी अपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करें ऐसे देशों में सीमांत उपभोग प्रवृत्ति बहुत अधिक होती है

    जबकि सीमांत बचत प्रवृत्ति बहुत कम होती है केनज वादी अर्थशास्त्र हमें बताता है कि जब सीमांत उपभोग प्रवृत्ति ऊंची होती है तो आय में वृद्धि होने पर उपभोक्ता मांग उत्पादन तथा रोजगार अपेक्षाकृत अधिक तेजी से बढ़ते हैं परन्तु अल्पविकसित देशों में जब आय में वृद्धि होने पर उपभोग बढ़ता है तो उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाना सम्भव नहीं होता क्योंकि सहकारी साधनों की दुर्लभता रहती है इसका परिणाम यह होता है कि रोजगार के स्तर में वृद्धि होने की बजाय कीमते बढ़ जाती है

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