बैंक दर नीति की सीमाएं (limitations of bank rate policy)
साख को नियंत्रित करने के साधन के रूप में बैंक दर नीति प्रभाव कारी है बैंक दर वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक व्यापारिक बैंकों को प्रथम श्रेणी की प्रतिभूतियों पर कर्ज प्रदान करता है
१----बैंक दर नीति की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि बैंक दर के साथ 7 ब्याज की अन्य बाजार दरों में किस सीमा तक परिवर्तन होता है बैंक दर नीति का सिद्धांत पहले से ही मान लेता है कि यदि मुद्रा बाजार में चालू ब्याज की अन्य दर मैं परिवर्तन होता है यदि यह शर्त पूरी नहीं होती तो साख नियंत्रण के साधन के रूप में बैंक दर नीति एक दम प्रभावहीन रहेगी
२---यह दर की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि ना केवल ब्याज की दरो मैं बल्कि मजदूरी लागतो और कीमतों में भी लोच हो इसका मतलब है कि दरों में बल्कि मजदूरी लागतो मैं भी लोचता हो इसका मतलब है कि जब मान लीजिए की बैंक दर बढ़ती हैं तो मजदूरी लगते और कीमतें अपने आप अपेक्षाकृत निम्नस्तर से समायोजन कर ले परंतु ऐसा केवल स्वर्ण मान के अंतर्गत ही संभव था आजकल मजबूत ट्रेड यूनियन बन गई है जिन्होंने अवस्फितिकारी प्रवृत्तियों तक में मजदूरी को मजबूत बना दिया है और वे स्पीति कारी प्रवृत्तियों में भी पीछे रह जाती हैं क्योंकि यूनियनों को मालिकों से मजदूरी बढ़ाने में समय लगता इसीलिए ऐसे समाज में बैंक दर नीति सफल नहीं हो सकती
३----- साख नियंत्रण के औजार के रूप में बैंक दर नीति की प्रभाविता को कर्मिशियल बैंकों का व्यवहार भी सीमित कर देता है केवल उसी अवस्था में बैंक दर नीति सफल हो सकती हो जब कर्मिशियल बैंक केंद्रीय बैंक से पुनर बट्टा सुविधाएं मांगे परंतु बैंक तो बड़ी मात्रा में तरल परिसंपत्तिया रखते हैं और केंद्रीय बैंक से वित्तीय सहायता मांगना जरूरी नहीं समझते
४-----बैंक दर नीति की प्रभाविता वाछनीय विनिमय पत्रों की विद्यमानता पर निर्भर करती हैं हाल के वर्षों में वाणिज्य एवं व्यापार की वित्त व्यवस्था करने के साधन के रूप में विनिमय पत्रों का प्रयोग बंद सा हो गया है व्यापारी और बैंक नगदी साख तथा ओवर ड्राफ्टो को प्राथमिकता देते इससे देश में साख नियंत्रण के लिए बैंक दर नीति कम प्रभावी बन जाती है
५-----बैंक दर नीति की प्रभाविता व्यापारियों की आशावादिता अथवा निराशावादी की लहरों पर भी निर्भर करती है यदि बैंक दर बढ़ा दी जाए तो व्यापारी ब्याज की ऊंची दरों पर भी उधार लेते रहेंगे बशर्ते की अर्थव्यवस्था मैं तेजी हो और कीमतों के और बढ़ाने की आशा हो दूसरी और यदि ऐसा समय चल रहा है जब कीमतें गिरती जा रही है तो बैंक गिरने पर भी वे उधार लेने को प्रोत्साहित नहीं होंगे इस प्रकार व्यापारिक ब्याज दरों में होने वाले परिवर्तनो को महत्व नहीं देते और व्यापार प्रत्याशाओ से ही अधिक प्रभावित होते हैं
६----बैंक दर नीति की एक और सीमा यह है कि केंद्रीय बैंक की ब्याज की बाजार दरों को घटाने की शक्ति सीमित है यदि बैंक दर अप्रत्याशित घटा दी जाए तो इससे ब्याज की बाजार दरें३% कम नहीं घटेगी इसीलिए बैंक दर अवस्फीति नीति को रोकने में सफल नहीं है हां ब्याज की बाजार दरों में वृद्धि लाकर बैंक दर नीति स्फीतिकारी प्रवृत्तियों को रोक सकती है
७---साख नियंत्रण के साधन के रूप में बट्टा दर नीति कि प्रभाविता बाजार दर से संबंध बट्टा दर स्तर पर निर्भर करती है यदि तेजी की अवधि में बैंक दर इतनी सीमा तक नहीं बढ़ाई जाति की केंद्रीय बैंक से उधार लेना महंगा ना हो जाए और मंदी के दौरान इतनी नहीं घटाई जाती कि केंद्रीय बैंक से उधार लेना सस्ता ना हो जाए तो इससे आर्थिक क्रिया पर अस्थिरता का प्रभाव पड़ेगा
जब तक बैंक दर तेजी के दौरान इतनी नहीं बढ़ा दी जाती हैं कि वह बाजार दरों से अधिक हो जाए और मंदी के दौरान इतनी नहीं हटा दी जाती कि वह बाजार दरों से कम हो जाए तब तक बैंक दर नीति साख को नियंत्रित करने में सफल नहीं हो सकती है
१----बैंक दर नीति की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि बैंक दर के साथ 7 ब्याज की अन्य बाजार दरों में किस सीमा तक परिवर्तन होता है बैंक दर नीति का सिद्धांत पहले से ही मान लेता है कि यदि मुद्रा बाजार में चालू ब्याज की अन्य दर मैं परिवर्तन होता है यदि यह शर्त पूरी नहीं होती तो साख नियंत्रण के साधन के रूप में बैंक दर नीति एक दम प्रभावहीन रहेगी
२---यह दर की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि ना केवल ब्याज की दरो मैं बल्कि मजदूरी लागतो और कीमतों में भी लोच हो इसका मतलब है कि दरों में बल्कि मजदूरी लागतो मैं भी लोचता हो इसका मतलब है कि जब मान लीजिए की बैंक दर बढ़ती हैं तो मजदूरी लगते और कीमतें अपने आप अपेक्षाकृत निम्नस्तर से समायोजन कर ले परंतु ऐसा केवल स्वर्ण मान के अंतर्गत ही संभव था आजकल मजबूत ट्रेड यूनियन बन गई है जिन्होंने अवस्फितिकारी प्रवृत्तियों तक में मजदूरी को मजबूत बना दिया है और वे स्पीति कारी प्रवृत्तियों में भी पीछे रह जाती हैं क्योंकि यूनियनों को मालिकों से मजदूरी बढ़ाने में समय लगता इसीलिए ऐसे समाज में बैंक दर नीति सफल नहीं हो सकती
३----- साख नियंत्रण के औजार के रूप में बैंक दर नीति की प्रभाविता को कर्मिशियल बैंकों का व्यवहार भी सीमित कर देता है केवल उसी अवस्था में बैंक दर नीति सफल हो सकती हो जब कर्मिशियल बैंक केंद्रीय बैंक से पुनर बट्टा सुविधाएं मांगे परंतु बैंक तो बड़ी मात्रा में तरल परिसंपत्तिया रखते हैं और केंद्रीय बैंक से वित्तीय सहायता मांगना जरूरी नहीं समझते
४-----बैंक दर नीति की प्रभाविता वाछनीय विनिमय पत्रों की विद्यमानता पर निर्भर करती हैं हाल के वर्षों में वाणिज्य एवं व्यापार की वित्त व्यवस्था करने के साधन के रूप में विनिमय पत्रों का प्रयोग बंद सा हो गया है व्यापारी और बैंक नगदी साख तथा ओवर ड्राफ्टो को प्राथमिकता देते इससे देश में साख नियंत्रण के लिए बैंक दर नीति कम प्रभावी बन जाती है
५-----बैंक दर नीति की प्रभाविता व्यापारियों की आशावादिता अथवा निराशावादी की लहरों पर भी निर्भर करती है यदि बैंक दर बढ़ा दी जाए तो व्यापारी ब्याज की ऊंची दरों पर भी उधार लेते रहेंगे बशर्ते की अर्थव्यवस्था मैं तेजी हो और कीमतों के और बढ़ाने की आशा हो दूसरी और यदि ऐसा समय चल रहा है जब कीमतें गिरती जा रही है तो बैंक गिरने पर भी वे उधार लेने को प्रोत्साहित नहीं होंगे इस प्रकार व्यापारिक ब्याज दरों में होने वाले परिवर्तनो को महत्व नहीं देते और व्यापार प्रत्याशाओ से ही अधिक प्रभावित होते हैं
६----बैंक दर नीति की एक और सीमा यह है कि केंद्रीय बैंक की ब्याज की बाजार दरों को घटाने की शक्ति सीमित है यदि बैंक दर अप्रत्याशित घटा दी जाए तो इससे ब्याज की बाजार दरें३% कम नहीं घटेगी इसीलिए बैंक दर अवस्फीति नीति को रोकने में सफल नहीं है हां ब्याज की बाजार दरों में वृद्धि लाकर बैंक दर नीति स्फीतिकारी प्रवृत्तियों को रोक सकती है
७---साख नियंत्रण के साधन के रूप में बट्टा दर नीति कि प्रभाविता बाजार दर से संबंध बट्टा दर स्तर पर निर्भर करती है यदि तेजी की अवधि में बैंक दर इतनी सीमा तक नहीं बढ़ाई जाति की केंद्रीय बैंक से उधार लेना महंगा ना हो जाए और मंदी के दौरान इतनी नहीं घटाई जाती कि केंद्रीय बैंक से उधार लेना सस्ता ना हो जाए तो इससे आर्थिक क्रिया पर अस्थिरता का प्रभाव पड़ेगा
जब तक बैंक दर तेजी के दौरान इतनी नहीं बढ़ा दी जाती हैं कि वह बाजार दरों से अधिक हो जाए और मंदी के दौरान इतनी नहीं हटा दी जाती कि वह बाजार दरों से कम हो जाए तब तक बैंक दर नीति साख को नियंत्रित करने में सफल नहीं हो सकती है
Nice
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