उत्पादन का बेलोच पूर्ति वक्र (Inelastic supply curve of output

अल्प विकसित देशों में उत्पादन का पूर्ति वक्र बेलोच होता है जो गुणक के कार्यक्रम को और भी कठिन बना देता हैं उपभोग वस्त्र उद्योग की प्रकृति एसी होती हैं कि वे उत्पादन का विस्तार करने तथा अधिक रोजगार प्रदान करने में असमर्थ होते हैं अल्पविकसित देशों में प्रमुख उपभोग वस्तु उद्योग कृषि है जो लगभग स्थिर होती हैं इसका कारण यह है कि अल्पकाल में उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि उत्पादको  को आवश्यक सुविधाएं नहीं प्राप्त होती परिणाम यह होता है कि निवेश की प्रारंभिक वृद्धि के साथ आय उत्पादन तथा रोजगार में द्वितीय तृतीय तथा अन्य वृद्धिया नहीं हो पाति आय में हुई प्राथमिक विधि खाने-पीने पर खर्च हो जाती हैं और उसका गुणक प्रभाव समाप्त हो जाता हैं
अल्प विकसित देशों में सीमांत उपभोग प्रवृत्ति अधिक होती है इसीलिए बड़ी हुए आय को किसान अपने लिए खाद्य वस्तुओं के उपभोग पर खर्च कर देते हैं जिससे कर योग्य अनाज के आधिक्य में कमी हो जाती हैं फिर इसके परिणाम स्वरूप अकृषि क्षेत्र में अनाज की कीमतें बढ़ जाते हैं कुल वास्तविक आय नहीं बढ़ती पर यहां संभावना सीमित होती है
उत्पादन को बढ़ाना कठिन होता है पर्याप्त कच्चा माल पूजी उपकरण तथा कुशल श्रमिक नहीं मिलते निवेश में प्राथमिक विधि से और इसीलिए आय तथा रोजगार में वृद्धि से आय में द्वितीय तथा तृतीयक वृद्धि होती हैं किंतु कृषि क्षेत्र या अकृषि क्षेत्र मैं उत्पादन या रोजगार में कोई विशेष वृद्धि नहीं होती गुणक सिद्धांत मुद्रा आय के संबंध में तो कार्य करता है

अतः दोस्तों निष्कर्ष में हम यह कह सकते हैं जो अल्प विकसित देश होते हैं उनमें केंज का गुणांक सिद्धांत नहीं चलता पहला कारण तो यह होता है कि केंज के ढंग की अनैच्छिक बेरोजगारी नहीं मिलती और दूसरा यह कि विशेष रूप से इस प्रकार की अर्थव्यवस्थाओं में पाए जाने वाले कुछ साधनों के कार्य करण से कृषि तथा कृषि उत्पादन ओं की पूर्ति बेलोच होती हैं यदि आपको समझ में ना आए या आप किसी और टॉपिक चाहते हो तो कमेंट करके जरूर बताएं

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