खुली अर्थव्यवस्था में आय का सन्तुलन स्तर(Equilibrium level of income in an open economy)

एक खुली अर्थव्यवस्था में आय का सन्तुलन स्तर निर्धारित
करने के लिए निर्यातों और आयातों को लिए जाता है यदि शुद्ध निर्यात जो निर्यातों और आयातों का अन्तर है बढ़ते हैं अर्थव्यवस्था की आय में वृद्धि होगी दुसरी ओर यदि शुद्ध निर्यात कम होते हैं तो अर्थव्यवस्था की आय कम होगी


इसकी मान्यताएं -----एक खुली अर्थव्यवस्था में आय निर्धारण की  मान्यता है

  1. घरेलू अर्थव्यवस्था का अंर्तराष्ट्रीय व्यापार कुल विश्व व्यापार की अपेक्षा थोड़ा है 
  2. अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार से कम की स्थिति है
  3. पूर्ण रोजगार स्तर तक सामान्य कीमत स्तर रहता है
  4. टैरिफ प्रशुलक व्यापार और विनिमय प्रतिबंध नहीं है
५--सकल निर्यात बाहा कारकों द्वारा निर्धारित होते हैं
                           
खुली अर्थव्यवस्था में आय का संतुलन स्तर OYBindu E पर निर्धारित होता है समस्त माग फलन C+I+G+(X-M) समस्त पूति फलन C+S+T को काटता है
यहां विश्लेषण यह दर्शाता है कि विदेशी व्यापार ना होने पर आय का संतुलन स्तर ऊंची स्थिति पर होगा जैसा की बिन्दु F पर C+I+G,=C+S+T की समानता द्वारा निर्धारित होता है जबकि विदेशी व्यापार होने पर यह नीचे के बिंदु E पर निर्धारित होता है एक खुली अर्थव्यवस्था में आय  का संतुलन स्तर निर्धारित करने का एक वैकल्पिक तरीका भी हैं इसके अनुसार समीकरण को देखते हैं
       C+S+T=C+I+G+(X-M)
           S+T=I+G+(X-M)
     S+T+M=I+G+X
जहा S+T+M समस्त आय को व्यक्त करता है और
      I+G+X समस्त व्यय को जब S+T+Mबराबर होता है
  I+G+X तो आय का संतुलन स्तर निर्धारित होता है
       
       
     
           

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