रोजगार के क्लासिक सिद्धांत की मान्यताएं
- अर्थव्यवस्था का कुल उत्पादन उपभोग और निवेश ख़र्चो में विभाजित है
- श्रम समरुप होता है
- श्रम और वस्तु बाजारों में पूर्ण प्रतियोगिता पाई जाती है
- बिना विदेशी व्यापार के एक बंद अबध नीति वाली पूंजीवादी अर्थव्यवस्था पाई जाती है
- पूंजी स्टाक और प्रौद्योगिकी ज्ञान दिये हुए हैं
- मजदूरी और कीमतें लोचशील है
- बिना स्पीति के पूर्ण रोजगार पाया जाता है
- मुद्रा मजदूरी और वास्तविक मजदूरी का सीधा और समानुपातिक सम्बन्ध है
यदि पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में कीमत प्रणाली को स्वतन्त्र रुप से कार्य करने दिया जाए तो देश में पूर्ण रोजगार होने की प्रवृत्ति होती हैं प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री मानते हैं कि पूर्ण रोजगार के स्तर से जो उतार-चढ़ाव होते वे कीमत प्रणाली के कार्य करने फलस्वरूप स्वयं दूर हो जाते हैं
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