बचत (saving)
परंपरावादी बचत तथा मितव्ययिता(thrift) पर बल देते थे क्योंकि वे मानते थे कि इससे आर्थिक वृद्धि के लिए पूंजी निर्माण होता है कींस की दृष्टिकोण में बचत एक निजी गुण तथा सार्वजनिक दोष है कुल बचत में वृद्धि होने से कुल उपभोग तथा मांग घट जाती है जिसके परिणाम स्वरूप अर्थव्यवस्था में रोजगार का स्तर गिर जाता है इस प्रकार किंस ने बेरोजगारी दूर करने के लिए सार्वजनिक बचत की बजाय सार्वजनिक व्यय का अनुमोदन किया उसनेउस तरह असमान आय के परिणाम स्वरूप बचत बढ़ती है और वृद्धि के लिए पूंजी निर्माण निर्माण होता है
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