शुंपीटर का नव परिवर्तन सिद्धांत Schumpeters theory of innovations
व्यापार चक्र का नवप्रवर्तन सिद्धांत जोसेफ शुंपीटर के नाम से संबंध है शुंपीटर का कहना है कि अर्थव्यवस्था के ढांचे में जो नवप्रवर्तन होते हैं वहीं आर्थिक उतार-चढ़ाव के स्रोत हैं व्यापार चक्र किसी पूंजीवादी समाज में आर्थिक विकास का परिणाम होते हैं की मंदी का कारण समृद्धि है अर्थव्यवस्था संतुलन की स्थिति में है और प्रत्येक साधन पूर्ण रूप से नियुक्त हैं प्रत्येक फार्म संतुलन में है और दक्षता से उत्पादन कर रही है तथा उसकी लागत उसकी आय के बराबर है वस्तु कीमत उसकी औसत तथा सीमांत दोनों लागतो के बराबर हैं ना तो कोई बचते हैं ना ही कोई निवेश
ऐसी संतुलन को शुंपीटर ने वित्तीय प्रभाव का नाम दिया है जो हर वर्ष एक ही ढंग से अपनी पुनरावृति करता रहता है वैसे ही जैसे प्राणियों मैं एक ही ढंग से रक्त का संचार होता है वित्तीय प्रभाव में हर वर्ष एक ही ढंग से एक ही प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन होता है शुंपीटर का मॉडल इस बात से शुरू होता है कि लाभ कमाने के लिए उधमी नई वस्तु के रूप में नवप्रवर्तन करके वित्तीय प्रभाव को भंग करता है नवप्रवर्तन से शुंपीटर का तात्पर्य है वस्तुओं के उत्पादन में होने वाले ऐसे ही परिवर्तन जो सीमांत पर अत्यंत प्रयत्न अथवा परिवर्तनों से प्रभावित नहीं हो सकते हैं
जब एक बार नवप्रवर्तन सफल तथा लाभदायक बन जाता है तो अन्य उधमी उस पर टिड्डी दल की भाती टूट पड़ते हैं एक क्षेत्र में नवप्रवर्तन अन्य संबंध क्षेत्रों में नवप्रवर्तन को प्रेरित करता है मुद्रा तथा आय तथा कीमत बढ़ती हैं और समस्त अर्थव्यवस्था में संचई प्रसार उत्पन्न करने में सहायक होती हैं
ऐसी संतुलन को शुंपीटर ने वित्तीय प्रभाव का नाम दिया है जो हर वर्ष एक ही ढंग से अपनी पुनरावृति करता रहता है वैसे ही जैसे प्राणियों मैं एक ही ढंग से रक्त का संचार होता है वित्तीय प्रभाव में हर वर्ष एक ही ढंग से एक ही प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन होता है शुंपीटर का मॉडल इस बात से शुरू होता है कि लाभ कमाने के लिए उधमी नई वस्तु के रूप में नवप्रवर्तन करके वित्तीय प्रभाव को भंग करता है नवप्रवर्तन से शुंपीटर का तात्पर्य है वस्तुओं के उत्पादन में होने वाले ऐसे ही परिवर्तन जो सीमांत पर अत्यंत प्रयत्न अथवा परिवर्तनों से प्रभावित नहीं हो सकते हैं
जब एक बार नवप्रवर्तन सफल तथा लाभदायक बन जाता है तो अन्य उधमी उस पर टिड्डी दल की भाती टूट पड़ते हैं एक क्षेत्र में नवप्रवर्तन अन्य संबंध क्षेत्रों में नवप्रवर्तन को प्रेरित करता है मुद्रा तथा आय तथा कीमत बढ़ती हैं और समस्त अर्थव्यवस्था में संचई प्रसार उत्पन्न करने में सहायक होती हैं
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