मौद्रिक नीति monetary policy
मौद्रिक नीति क्या होती हैं आइए पहले इसे समझते हैं कि मौद्रिक नीति होती क्या है किसी देश की अर्थव्यवस्था मैं मुद्रा का प्रचलन प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए जो नीति बनाई जाती है वही मौद्रिक नीति कहलाती हैं दूसरे अर्थ में इसे समझते हैं बाजार में मुद्रा की मात्रा कितनी रखी जाए ताकि महंगाई नियंत्रण मैं रहे इसके लिए जो उपाय किए जाते हैं वही मौद्रिक नीति कहलाती है
मौद्रिक नीति के अंतर्गत अगर बाजार में उपलब्ध मुद्रा की मात्रा अधिक हो जाएं तो कम करने के उपाय किए जाते हैं तथा इसके विपरीत मुद्रा की मात्रा घटने पर उसे जरूरत के अनुसार बढ़ा दिया जाता है
अब प्रश्न उठता है कि मौद्रिक नीति को जारी कौन करता है मौद्रिक नीति को वर्तमान में मौद्रिक नीति समिति के द्वारा जारी किया जाता है मौद्रिक नीति जारी करने का कार्य मौद्रिक नीति समिति को 2016 में इस समिति का गठन किया गया था गठन के बाद इसे यह कार्य सौंपा गया 2016 से पहले मौद्रिक नीति जारी करने का कार्य देश का केंद्रीय बैंक यानी आरबीआई रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा किया जाता है
मौद्रिक नीति समिति में कुल 6 सदस्य होते हैं मौद्रिक नीति समिति का अध्यक्ष वर्तमान आरबीआई के गवर्नर होते हैं
मौद्रिक नीति जारी करने के उद्देश्य
बाजार में मुद्रा की वृद्धि को मुद्रा की तरलता तथा मुद्रा की कमी को मुद्रा का संकुचन के नामों से जाना जाता है
मौद्रिक नीति के अंतर्गत अगर बाजार में उपलब्ध मुद्रा की मात्रा अधिक हो जाएं तो कम करने के उपाय किए जाते हैं तथा इसके विपरीत मुद्रा की मात्रा घटने पर उसे जरूरत के अनुसार बढ़ा दिया जाता है
अब प्रश्न उठता है कि मौद्रिक नीति को जारी कौन करता है मौद्रिक नीति को वर्तमान में मौद्रिक नीति समिति के द्वारा जारी किया जाता है मौद्रिक नीति जारी करने का कार्य मौद्रिक नीति समिति को 2016 में इस समिति का गठन किया गया था गठन के बाद इसे यह कार्य सौंपा गया 2016 से पहले मौद्रिक नीति जारी करने का कार्य देश का केंद्रीय बैंक यानी आरबीआई रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा किया जाता है
मौद्रिक नीति समिति में कुल 6 सदस्य होते हैं मौद्रिक नीति समिति का अध्यक्ष वर्तमान आरबीआई के गवर्नर होते हैं
मौद्रिक नीति जारी करने के उद्देश्य
- महंगाई पर अंकुश लगाना
- कीमतों में स्थिरता बनाए रखना
- टिकाऊ आर्थिक विकास दर हासिल करना
- रोजगार में वृद्धि करना
बाजार में मुद्रा की वृद्धि को मुद्रा की तरलता तथा मुद्रा की कमी को मुद्रा का संकुचन के नामों से जाना जाता है
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