राजकोषीय घाटे का संरचनात्मक और चकरी घटकों में वर्गीकरण
सरकारी बजट का संतुलन चक्रीय अस्थाई और संरचनात्मक स्थायी दोनों प्रकार के कारकों से प्रभावित होता है जिसका अर्थ है राजकोषीय घाटे में परिवर्तन या तो उत्पादन में होने वाले चक्री परिवर्तन के कारण अथवा संरचनात्मक कारकों की प्रतिक्रिया स्वरूप होता है उत्पादन में होने वाले चकरी परिवर्तनों का राजकोषीय घाटे पर अस्थाई प्रभाव होता है जबकि संरचनागत कारकों का अधिक स्थाई प्रभाव होता है संरचनागत घाटा तब होता है जब किसी देश का ऐसे समय में घाटा होता है जब उस देश की अर्थव्यवस्था अपने संपूर्ण रोजगार स्तर पर कार्य कर रही हो
दूसरी ओर चकरी घटा तब पैदा होता है जब कोई अर्थव्यवस्था अपनी पूर्ण क्षमता के अनुसार कार्य ना कर रहेहो उदाहरण के लिए यदि कोई अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही हो तो संरचना घाटे का अर्थ है की घाटा अवश्य होगा चाहे अर्थव्यवस्था मंदि उत्कर्ष में कितना ही अच्छा निष्पादन क्यों ना कर रही हो जब अर्थव्यवस्था मंदी से कार्य कर रही हो तो अधिक नौकरियां अधिक व्यय इत्यादि के कारण राजस्व सृजन अधिक होगा लेकिन संरचनागत घाटे के चलते अर्थव्यवस्था की अच्छी और मजबूत स्थिति अप्रासंगिक हो जाती हैं घाटा तो हर हाल में होगा ही
दूसरी ओर चकरी घटा तब पैदा होता है जब कोई अर्थव्यवस्था अपनी पूर्ण क्षमता के अनुसार कार्य ना कर रहेहो उदाहरण के लिए यदि कोई अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही हो तो संरचना घाटे का अर्थ है की घाटा अवश्य होगा चाहे अर्थव्यवस्था मंदि उत्कर्ष में कितना ही अच्छा निष्पादन क्यों ना कर रही हो जब अर्थव्यवस्था मंदी से कार्य कर रही हो तो अधिक नौकरियां अधिक व्यय इत्यादि के कारण राजस्व सृजन अधिक होगा लेकिन संरचनागत घाटे के चलते अर्थव्यवस्था की अच्छी और मजबूत स्थिति अप्रासंगिक हो जाती हैं घाटा तो हर हाल में होगा ही
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