भारत में मौद्रिक नीतिMonetary policy in india
भारत में मौद्रिक नीति आर्थिक नीति की सहायक है इसीलिए मौद्रिक नीति के उद्देश्य आर्थिक नीति के उद्देश्यों से भिन्न नहीं है भारत में आर्थिक नीति के तीन मुख्य उद्देश्य वृद्धि सामाजिक न्याय कीमत स्थिरता है भारत सरकार अपनी मौद्रिक नीति को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा चलाती है जो देश का मौद्रिक प्राधिकारी है भारतीय रिजर्व बैंक नियंत्रित मुद्रा विस्तार की नीति अपनाता रहा है इसके अंतर्गत दो बातें पाई जाती हैं एक तो यह कि जब अर्थव्यवस्था में स्फीतिकारी दबाव पुनः प्रकट हो तो किसी भी समय तरलता अर्थात मुद्रा पूर्ति को अत्यधिक बढ़ने से रोकना और दूसरा यह कि उत्पादन को प्रेरणा तथा प्रोत्साहन देने के लिए साख का प्रभाव नियमित करना ताकि आर्थिक वृद्धि की गति को तीव्र करने के लिए अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके
मौद्रिक नीति के उद्देश्य
1--कीमत स्थिरता--- रिजर्व बैंक दो प्रकार से कीमत स्थिरता प्राप्त करने का यत्न करता है प्रथम समग्र मांग के क्षेत्र में स्फीतिकारी दबावो को नियंत्रित करके तथा द्वितीय सापेक्षता अधिक उत्पादकी स्रोतों में साख के प्रभावी उपयोग एवं आवंटन को सुविधाजनक बना कर
2-- घाटा घटाना - सरकार का सकल राजकोषीय घाटा कम करने के लिए यह मौद्रिक घाटा सरकार को शुद्ध भारती रिजर्व बैंक उधार कम करने का प्रयत्न करता है
.3 निर्यात प्रोत्साहन - भुगतान शेष घाटे की समस्या हल करने के लिए निर्यातकों प्रोत्साहित करता है
वृद्धि - भुगतान शेष घाटे की समस्या हल करने के लिए निर्यातो को प्रोत्साहित करता है
सामाजिक न्याय - यह सामाजिक न्याय अर्थात आय के अधिक समान वितरण के प्रोग्रामो का समर्थन करता है ऐसा यह अर्थव्यवस्था के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए साख की लागत मात्रा एवं दिशा को प्रभावित कर के करता है
इन उद्देश्यों में से कीमत स्थिरता प्रमुख है कीमत स्थिरता ही उपयुक्त वातावरण प्रदान करती है जिससे वृद्धि हो सकती है और सामाजिक न्याय सुनिश्चित किया जा सकता है निर्यात की वृद्धि तथा विदेशी ऋण की अदायगी के लिए भी कीमत स्थिरता अपेक्षित है वास्तव में कीमत स्थिरता का अभिप्राय कीमतों का बढ़ना नहीं बल्कि सामान्य कीमत स्तर को 4% प्रतिवर्ष से अधिक बढ़ाने से रोकना है जैसा कि रिजर्व बैंक की चक्रवर्ती कमेटी 1985 ने सुझाया यह मौद्रिक लक्ष्य स्थिर नहीं है बल्की कीमत स्थिर के मध्य वार्षिक मूल्यांकन के अनुसार इसका संशोधन किया जा सकता है
मौद्रिक नीति के उद्देश्य
1--कीमत स्थिरता--- रिजर्व बैंक दो प्रकार से कीमत स्थिरता प्राप्त करने का यत्न करता है प्रथम समग्र मांग के क्षेत्र में स्फीतिकारी दबावो को नियंत्रित करके तथा द्वितीय सापेक्षता अधिक उत्पादकी स्रोतों में साख के प्रभावी उपयोग एवं आवंटन को सुविधाजनक बना कर
2-- घाटा घटाना - सरकार का सकल राजकोषीय घाटा कम करने के लिए यह मौद्रिक घाटा सरकार को शुद्ध भारती रिजर्व बैंक उधार कम करने का प्रयत्न करता है
.3 निर्यात प्रोत्साहन - भुगतान शेष घाटे की समस्या हल करने के लिए निर्यातकों प्रोत्साहित करता है
वृद्धि - भुगतान शेष घाटे की समस्या हल करने के लिए निर्यातो को प्रोत्साहित करता है
सामाजिक न्याय - यह सामाजिक न्याय अर्थात आय के अधिक समान वितरण के प्रोग्रामो का समर्थन करता है ऐसा यह अर्थव्यवस्था के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए साख की लागत मात्रा एवं दिशा को प्रभावित कर के करता है
इन उद्देश्यों में से कीमत स्थिरता प्रमुख है कीमत स्थिरता ही उपयुक्त वातावरण प्रदान करती है जिससे वृद्धि हो सकती है और सामाजिक न्याय सुनिश्चित किया जा सकता है निर्यात की वृद्धि तथा विदेशी ऋण की अदायगी के लिए भी कीमत स्थिरता अपेक्षित है वास्तव में कीमत स्थिरता का अभिप्राय कीमतों का बढ़ना नहीं बल्कि सामान्य कीमत स्तर को 4% प्रतिवर्ष से अधिक बढ़ाने से रोकना है जैसा कि रिजर्व बैंक की चक्रवर्ती कमेटी 1985 ने सुझाया यह मौद्रिक लक्ष्य स्थिर नहीं है बल्की कीमत स्थिर के मध्य वार्षिक मूल्यांकन के अनुसार इसका संशोधन किया जा सकता है
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