निवेश की सीमांत उत्पादकता the Marginal efficiency of investment MEI
निवेश की सीमांत उत्पादकता MEI प्रतिफल कि वह प्रत्याशित दर है जो किसी पूजी परिसंपत्ति पर दिए हुए निवेश से ब्याज की दर को छोड़ कर सभी लागते पूरी करने के बाद प्राप्त होनी है एम ई सी की भांति वह दर है जो किसी पूजी परिसंपत्ति की पूर्ति कीमत को उसकी प्रत्याशित आय के बराबर लाती है किसी परिसंपत्ति पर किया जाने वाला निवेश इस बात पर निर्भर करेगा कि बाजार से निधियों की प्राप्ति के लिए ब्याज की दर कितनी है यदि ब्याज की दर अधिक होगी तो निवेश का स्तर कम रहेगा ब्याज की दर कम होने से निवेश अधिक होगा इस प्रकार एम ई आई निवेश को ब्याज की दर से संबंध करता है MEI वक्र यहां दिखाता की ब्याज की विविध दरों पर निवेश की मांग की मात्रा कितनी होगी यही कारण है कि इसे निवेश मांग अनुसूची या वक्र कहा जाता है जिस की ढलान ऋण आत्मक होती है चित्र में दिखाया गया है
ब्याज की दरor1 दर पर निवेश की मात्रा oi है जब ब्याज की दर गिरकरor2 हो जाती है तो निवेश बढ़करOi हो जाता है
ब्याज की दर गिरने से निवेश किस सीमा तक बढ़ेगा यहMEI वक्र की निवेश मांग वक्र की लोच पर निर्भर करता हैMEI वक्र जितना ही कम लोचदार होगा ब्याज की दर गिरने के परिणाम स्वरुप निवेश में वृद्धि भी उतनी ही कम होगी
चित्र में अनुलंबअक्ष पर ब्याज की दर तथा निवेश की सीमांत उत्पादकता को मापता हैMEI OR MEI' निवेश मांग वक्र हैं चित्र के भाग A एम ई आई वक्र कम लोचदार है इसीलिए निवेश मेंI I' मात्रा की वृद्धि होती है जोकि भाग B मैं दिखाई गई निवेश कीI1 I2 वृद्धि से कम है जहांMEI वक्र लोचदार है
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