गुणक तथा गुणक के रिसावLeakage of multiplier

गुणक  का विकास सबसे पहले आरएफ काहन ने जून 1931 के Economic journal मैं प्रकाशित अपनेthe relation of home investment to unemployment लेख में किया था  काहन का गुणक रोजगार गुणक है केन्ज ने काहन से विचार ग्रहण किया और निवेश गुणक investment multiplier को व्यवस्थित किया

गुणक  एक ऐसा सिद्धांत है जो हमें यह बताता है कि जब निवेश में कोई वृद्धि की जाती है तो उससे हमारी आय में कितनी वृद्धि होती है आय  और रोजगार के बीच यथार्थ संबंध को स्थापित करता है आप जानते हैं * के रिसाव क्या होते है

गुणक  के रिसाव-- गुणक  के रिसाव क्या क्या होते हैं इनको समझते हैं रिसाव से मतलब है लीकेज हमारी अर्थव्यवस्था में गुणक के रिसाव के बारे में पढ़ेंगे महत्वपूर्ण रिसाव के बारे में जानेंगे आइए देखते हैं सबसे पहला रिसाव

बचत-- बचत गुणक प्रक्रिया का सबसे अधिक महत्वपूर्ण रिसाव है क्योंकि सीमांत उपभोग प्रवृत्ति एक से कम होती है इसीलिए आय में हुई समस्त वृद्धि उपभोग पर नहीं व्यय  होती इसका कुछ भाग बचा लिया जाता है जो आय सरिता में से रिस जाता है और अगले चक्र मैं आय होने वाली वृद्धि घाट जाती है इस प्रकार सीमांत प्रवृत्ति जितना अधिक होगी गुणक का आकार उतना ही कम और आय सरिता में रिसाव की मात्रा उतनी ही अधिक होगी

प्रबल तरलता अधिमान-- यदि लेनदेन सतर्कता तथा सट्टा उद्देश्य के लिए प्रबल तरलता अधिमान की संतुष्टि के लिए बढ़ी हुई आए को निष्क्रिय नगदी से  शेषो  के रूप में संग्रह करने को अभिमान देते हैं तो यह आय सरिता मैं से रिसाव का कार्य करेगा जब आय बढ़ती है तो लोग निष्क्रिय बैंक जमा  मैं संग्रह करेगे और गुणक  प्रक्रिया रुक जाएगी

पुराने स्टॉक तथा प्रतिभूतियों का क्रय--- यदि बड़ी हुई आय का कुछ भाग उपभोक्ता वस्तुओं को क्रय करने की वजाय पुराने स्टॉक तथा प्रतिभूतियों के क्रय  मैं व्यय होगा तो उपभोग व्यय गिर जाएगा और  आय पर उसका संचयी प्रभाव पहले से कम रहेगा


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