अनैच्छिक बेरोजगारी Involuntary unemployment
अनैच्छिक बेरोजगारी पूंजीवादी अर्थव्यवस्था से संबंध रखती है जहां अधिकांश श्रमिक मजदूरी के लिए काम करते हैं और जहां उत्पादन अपने उपभोग के लिए होने की बजाय विनिमय के लिए अधिक होता है प्रोफेसर दासगुप्ता के अनुसार बड़े उद्योगों और काफी सू विकसित बैंकिंग व्यवस्था के साथ अल्पविकसित अर्थव्यवस्था का संगठित क्षेत्र केंज के अर्थशास्त्र की सीमा में आता है क्योंकि वह पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की विशेषताओं को प्रकट करता है परंतु जब देश की कुल कार्यकारी जनसंख्या के संबंध में विचार किया जाता है तो इस क्षेत्र में अनैच्छिक बेरोजगारी महत्व हीन ठहरती है मोटे तौर पर हिसाब लगाया है कि भारत में अनैच्छिक बेरोजगारी कुल कार्यकारी श्रम शक्ति 0.2 प्रतिशत निकलती है इस संबंध में धारणा यह है कि संगठित उद्योगों में रोजगार पर लगे व्यक्तियों में से 10% अनैच्छिक रूप से बेरोजगार हैं और संगठित उद्योगों में कुल कार्यकारी जनसंख्या का मुश्किल से 2% खप जाता है
अति जनसंख्या वाले अल्प विकसित देश में छिपी बेरोजगारी पाई जाती हैं प्रत्यक्ष रूप से लोग कृषि में लगे होते हैं परंतु यदि उनमें से कुछ को फार्म से हटा दिया जाए तो उत्पादन में कमी नहीं होगी अल्पविकसित अर्थव्यवस्था में अनैच्छिक बेरोजगारी के बजाय छिपी बेरोजगारी का अस्तित्व गुणक सिद्धांत के कार्य कारण में बाधा प्रस्तुत करता है निवेश की प्रारंभिक गतिविधियों के द्वितीय तृतीय तथा अन्य प्रभाव प्रमुख रूप से इसीलिए नहीं होते कि चालू मजदूरी स्तर पर रोजगार स्वीकार करने को तैयार कोई भी श्रमिक नहीं होते कि चालू मजदूरी स्तर पर छिपे बेरोजगार इसलिए नहीं मिलते कि एक तो उन्हें नहीं इस तथ्य का भी ज्ञान नहीं होता की वे बेरोजगार हैं और दूसरे उन्हें पहले ही वह वास्तविक आय प्राप्त हो रही है जो उन्हें कम से कम उतनी संतुष्टि तो देती ही है जितनी की चालू मजदूरी स्तर से उन्हें प्राप्त होगी इस प्रकार अल्पविकसित देशों में अनैच्छिक बेरोजगारी का अभाव तथा छिपी बेरोजगारी की उपस्थिति उत्पादन या रोजगार कोग द्वारा
अति जनसंख्या वाले अल्प विकसित देश में छिपी बेरोजगारी पाई जाती हैं प्रत्यक्ष रूप से लोग कृषि में लगे होते हैं परंतु यदि उनमें से कुछ को फार्म से हटा दिया जाए तो उत्पादन में कमी नहीं होगी अल्पविकसित अर्थव्यवस्था में अनैच्छिक बेरोजगारी के बजाय छिपी बेरोजगारी का अस्तित्व गुणक सिद्धांत के कार्य कारण में बाधा प्रस्तुत करता है निवेश की प्रारंभिक गतिविधियों के द्वितीय तृतीय तथा अन्य प्रभाव प्रमुख रूप से इसीलिए नहीं होते कि चालू मजदूरी स्तर पर रोजगार स्वीकार करने को तैयार कोई भी श्रमिक नहीं होते कि चालू मजदूरी स्तर पर छिपे बेरोजगार इसलिए नहीं मिलते कि एक तो उन्हें नहीं इस तथ्य का भी ज्ञान नहीं होता की वे बेरोजगार हैं और दूसरे उन्हें पहले ही वह वास्तविक आय प्राप्त हो रही है जो उन्हें कम से कम उतनी संतुष्टि तो देती ही है जितनी की चालू मजदूरी स्तर से उन्हें प्राप्त होगी इस प्रकार अल्पविकसित देशों में अनैच्छिक बेरोजगारी का अभाव तथा छिपी बेरोजगारी की उपस्थिति उत्पादन या रोजगार कोग द्वारा
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