अंतरराष्ट्रीय व्यापार International trade

दो राष्ट्रों के मध्य वस्तु एवं सेवाओं के आदान-प्रदान को अंतरराष्ट्रीय व्यापार कहते हैं व्यापार का उद्देश्य स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति करना तथा लाभ कमाना होता है व्यापार के दो घटक होते हैं आयात तथा  निर्यात . निर्यात जब हम वस्तुओं एवं सेवाओं को विदेशों में लाभ के उद्देश्य भेजते हैं तो इसे निर्यात कहा जाता है जब हम आवश्यक वस्तुओं को विदेशों से मनाते हैं तो यह आयात कहलाता है व्यापार आयात निर्यात को दो भागों में विभाजित किया जाता है प्रथम है दृश्य व्यापार तथा दूसरा है अदृश्य व्यापार

किसी देश की विदेशी व्यापार से उसकी अर्थव्यवस्था की प्रकृति और आकार का भी पता चलता है यदि किसी देश का निर्यात उसके कुल आयात की तुलना में अधिक होता है तो विदेशी व्यापार के संदर्भ में वह लाभ की स्थिति में होता है किंतु उसका आयात यदि निर्यात की तुलना में अधिक होता है तो वह विदेशी व्यापार के संदर्भ में घंटे की स्थिति में होता है



दृश्य व्यापार- दृश्य व्यापार में उन वस्तुओं तथा सेवाओं का व्यापार किया जाता है जिन्हें हम छू सकते हैं तथा देख सकते हैं जैसे वस्तुओं का व्यापार जैसे हम विदेशों से तेल का आयात कर रहे हैं या निर्यात कर रहे हैं यह सब वस्तुएं दृश्य व्यापार के अंतर्गत आती हैं


अदृश्य व्यापार - इस व्यापार में सेवाओं का व्यापार होता है जैसे डॉक्टर शिक्षक आदि

किसी देश के कुल निर्यात में मूल्य के अनुसार प्राथमिक उत्पादों खाद्यान्न खनिज इत्यादि की प्रधानता होती है तो सामान्यतया उसकी अर्थव्यवस्था अल्प विकसित और विकासशील प्रकृति की मानी जाती है जैसे नेपाल पाकिस्तान भूटान अधिकांश अफ्रीकी तथा लैट्रिन अमेरिकी देश किंतु इसके कई अपवाद भी हैं जैसे न्यूजीलैंड के कुल निर्यात में दुग्ध एवं उसके उत्पादों तथा मांस एवं उसके उत्पादों की प्रधानता होती है किंतु यह देश विकसित देशों की श्रेणी में शामिल हैं

स्वतंत्रता के बाद प्रारंभिक वर्षों में भारत के निर्यात में जहां प्राथमिक उत्पादों की प्रधानता होती थी वही आयात में मशीनरी तथा अन्य औद्योगिक वस्तुओं की प्रधानता थी किंतु धीरे-धीरे इस स्थिति में बदलाव आया है अब भारत में कुल निर्यात में प्राथमिक उत्पादों की सापेक्षिक भागीदारी में लगातार कमी आई है तथा औद्योगिक उत्पादों और सेवाओं के निर्यात में वृद्धि हो रही है

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का महत्व - किसी देश की अर्थव्यवस्था के संदर्भ में आयात और निर्यात दोनों का व्यापक महत्व होता है आवश्यक वस्तुओं के आयात तथा अधिशेष वस्तुओं के निर्यात से अर्थव्यवस्था में संतुलन स्थापित होता है मशीनरी तथा पूंजीगत वस्तुओं के आयात से अर्थव्यवस्था में दीर्घकालीन रूप से मजबूती आती है इससे बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन होता है व्यापार संतुलन यदि सकारात्मक होता है तो इससे महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा की भी प्राप्ति होती है इसी प्रकार यदि दो देशों के बीच व्यापारिक संबंध बढ़ता है तो उनके बीच राजनीतिक संबंध में सुधार के मार्ग भी प्रशस्त होते हैं

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