प्रेरित निवेश Induced investment
प्रेरित निवेश राष्ट्रीय आय में वृद्धि के साथ बढ़ता है तथा उसकी कमी के साथ घटता है अर्थात प्रेरित निवेश आय के स्तर में परिवर्तन द्वारा निर्धारित होता है वास्तविक निवेश प्रेरित हो सकता है प्रेरित निवेश लाभ अथवा आय प्रयोजित होता है लाभों को प्रभावित करने वाले साधन जैसे की कीमतें मजदूरी तथा ब्याज में परिवर्तन प्रेरित निवेश पर प्रभाव डालते हैं इसी प्रकार मांग में भी इसे प्रभावित किया जाता है जब आय बढ़ती है तो उपभोग मांग भी बढ़ती है और इसे पूरा करने के लिए निवेश बढ़ता है अंतिम विश्लेषण में प्रेरित निवेश आय का फलन होता है अर्थात I=f (y) यहां आय लोच आत्मक होता है आय में वृद्धि या पतन के साथ बढ़ता है या घटता है जैसा की चित्र में दिखाया गया है
चित्र से ज्ञात होता है की राष्ट्रीय आय अथवा उत्पादन के स्तर y1 पर यह निवेश I1 है राष्ट्रीय आय के बढ़करy2 हो जाने पर यह I2 तथा y3 हो जाने से यहI3 हो जाता है इसका मुख्य कारण यह है कि जब राष्ट्रीय अथवा राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि होती हैं तो यदि पहले से उपयुक्त उत्पादन क्षमता उपस्थित नहीं है तथा अधिक मात्रा में वस्तुओं के उत्पादन के लिए अधिक मात्रा में नए पूजी पदार्थों की आवश्यकता होती है जिन के निर्माण में निवेश किया जाता है आय वृद्धि से प्रेरित निवेश के निर्धारण की आर्थिक दृष्टि से भी व्याख्या की जा सकती है जब राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है तो इससे वस्तुओं तथा सेवाओं के लिए अधिक समस्त मांग उत्पन्न होती है बढ़ती हुई समस्त मांग आर्थिक तेजी की दशा की सूचक होती है जो उधमकर्ताओ कि कमाने की आशंकाओं को बढ़ा देते हैं और वह वस्तुओं की मांग में वृद्धि की पूर्ति के लिए पूंजी पदार्थों के निर्माण में अधिक निवेश के लिए प्रेरित होते हैं प्रेरित निवेश को आगे दो भागों में विभक्त किया जाता है औसत निवेश प्रवृत्ति और सीमांत निवेश प्रवृत्ति
औसत निवेश प्रवृत्ति Average propensity to investment - आय से अनुपात औसत प्रवृति निवेश प्रवृत्ति कहलाती है अर्थात I /y है यदि आय 40 करोड़ और निवेश 4 करोड़ है तो I /y=4/40=0,1चित्र की भाषा मे oy3 आय स्तर पर औषध निवेश प्रवृत्तिI3 Y3 /oy3 है
सीमांत निवेश प्रवृत्ति Marginal propensity to invest '----- निवेश में परिवर्तन आय में परिवर्तन से अनुपात सीमांत निवेश प्रवृत्ति कहलाता है I3 a/y2 y3
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