उपभोग फलन the consumption function
उपभोग फलन अथवा उपभोग प्रवृत्ति आय उपभोग संबंध को दर्शाता है यह कुल उपभोग तथा समस्त राष्ट्रीय आय इन दो समूहों के बीच फलन फलनात्मक संबंध है प्रतीकात्मक रूप से इस संबंध को इस प्रकार से प्रकट किया जा सकता है c=f (y) यहा c उपभोग है y आय हैं f फलनात्मक संबंध को प्रकट किया जाता है
उपभोग फलन आर्थिक विशेषण के अजारो मैं युगान्तर कारी योगदान समझा जाता है फिर भी वह निर्दोष नहीं है जैसा कि केन्ज ने कहा है कि संबंध केवल चालू आय चालू उपभोग तक नहीं है इसमें भूत तथा प्रत्याशित आय और उपभोग की कुछ जटिल औसत पायी जाति है उपभोग के स्तर को वास्तविक आय के स्तर के अतिरिक्त अन्य स्थितियां काफी हद तक निर्धारण करते हैं
वास्तव में उपभोग प्रवृत्ति अथवा उपभोग फलन आय के अनुरूप उपभोग व्यय की विविध मात्राओं की अनुसूची आपके सामने प्रस्तुत की गई है
तालिका उपभोग अनुसूची
उपभोग फलन आर्थिक विशेषण के अजारो मैं युगान्तर कारी योगदान समझा जाता है फिर भी वह निर्दोष नहीं है जैसा कि केन्ज ने कहा है कि संबंध केवल चालू आय चालू उपभोग तक नहीं है इसमें भूत तथा प्रत्याशित आय और उपभोग की कुछ जटिल औसत पायी जाति है उपभोग के स्तर को वास्तविक आय के स्तर के अतिरिक्त अन्य स्थितियां काफी हद तक निर्धारण करते हैं
वास्तव में उपभोग प्रवृत्ति अथवा उपभोग फलन आय के अनुरूप उपभोग व्यय की विविध मात्राओं की अनुसूची आपके सामने प्रस्तुत की गई है
तालिका उपभोग अनुसूची
आय (y) उपभोग c=f (y)
0 20
60 70
120 120
180 170
240 220
300 270
360 320
इस तालिका से स्पष्ट है कि उपभोग आय का बढ़ता हुआ फलन है क्योंकि आय में वृद्धि के साथ साथ उपभोग व्यय बढ़ता जाता है यहां यह दिखाया गया है कि जब मंदी के दौरान आई 0 सुनने होती है तो लोग अपनी पहले की बचत में से उपभोग पर व्यय करते हैं क्योंकि जीवित रहने के लिए उन्हें खाना तो पड़ेगा ही जब अर्थव्यवस्था में 60 करोड़ रुपए की मात्रा में आय प्रचलित होती है तो वह समाज के उपभोग व्यय को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होती है
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